celling FAN में कैपासिटर क्यों लगाया जाता है?

celling FAN छत के पंखे में कैपासिटर क्यों लगाया जाता है?
CELLING FAN में एक अलग ही सिंगल फेज इंडक्शन मोटर होता है fan का उपयोग गर्मियों में किया जाता है। यह सिंगल फेज SUPPLY से चलता है। यह MOTOR सबसे ज्यादा USE होने वाले मोटर में से एक है| इसके रोटर से पतली ब्लेड जुड़ा रहता है। इस मोटर को छत से लटकाकर उपयोग किया जाता है इसलिए इसे छत पंखा या Ceiling Fan कहा जाता है।

CELLING FAN के CONNECTION

सीलिंग फैन एक प्रकार का सिंगल फेज इंडक्शन मोटर होता है। इसमें दो प्रकार की वाइंडिंग होती है इसे स्टार्टिंग वाइंडिंग तथा रनिंग वाइंडिंग कहते है और स्टार्टिंग वाइंडिंग को Auxiliary Winding तथा रनिंग वाइंडिंग को Main Winding के नाम से भी जाना जाता है। निचे एक स्पिल्ट फेज इंडक्शन मोटर का सर्किट डायग्राम बताया गया है जिसमे देख सकते हो की स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम (Series) में एक कंडेंसर जोड़ा गया है। पहले हम यह समझ लेते है की यदि capacitor को फेन में नहीं जोड़ेंगे तो क्या होगा ?

CELLING FAN DIAGRAM

यदि सीलिंग फैन में कैपासिटर नहीं लगाये तो क्या होगा?


यदि स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में कैपासिटर को नहीं जोड़ा गया तो दोनों वाइंडिंग एक दुसरे के साथ समांतर क्रम में हो जाएगी और दोनों के टर्मिनल के बीच वोल्टेज ,सप्लाई वोल्टेज के बराबर हो जायेगा। जब दोनों वाइंडिंग में सप्लाई दी जाएगी तब इससे दोनों वाइंडिंग में एक पुलास्टिंग चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा जबकि मोटर को घुमाने के लिए रोटेटिंग चुंबकीय क्षेत्र होना चाहिए।

मतलब यदि सिंगल फेज सप्लाई होने के कारण वाइंडिंग द्वारा एक ही प्रकार का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा जो आधे समय अन्तराल के में क्लॉक वाइज तथा अगले आधे समय अंतराल के लिए एंटी क्लॉक वाइज घूमेगा है। मतलब सप्लाई के पुरे टाइम में ,मोटर की दिशा आधे समय के लिए क्लॉक वाइज तथा अगले आधे समय अन्तराल के लिए एंटी क्लॉक वाइज होगी। जिससे पुरे समय अंतराल में मोटर जड़त्व के कारण किसी भी दिशा में नही घूम पायेगी और टार्क शून्य होगा। इसलिए मोटर का स्टार्टिंग टार्क शून्य हो जायेगा।

सीलिंग फैन में कैपासिटर का क्या काम


जैसे की हम सभी जानते है की किसी भी ए०सी मोटर को सेल्फ स्टार्टिंग के लिए कम से कम दो या इससे अधिक फेज की आवश्यकता होती है| दो अलग अलग फेज की सप्लाई ,दो अलग अलग फेज वाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जिससे मोटर के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र का योग रोटेटिंग प्रवृति का हो जाता है जो मोटर के रोटर पर एक रोटेटिंग टार्क उत्पन्न करता है| जिससे मोटर घुमने लगता है। लेकिन हमारे घर में सिंगल फेज सप्लाई होती है इसलिए मोटर के अन्दर दूसरा फेज उत्पन्न करने के लिए कैपासिटर को स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। मोटर के रनिंग वाइंडिंग में भी CAPACITOR को लगा सकते है लेकिन मोटर की दिशा बदल जाएगी।
जैसे की हम जानते है की यदि किसी Resistive सर्किट में प्रवाहित ए०सी करंट तथा वोल्टेज दोनों एक ही फेज में होते है लेकिन Inductive सर्किट में विधुत धारा ,वोल्टेज से पिछड़ जाता है| मतलब वोल्टेज तथा करंट में फेज डिफरेंस उत्पन्न हो जाता है। इसके विपरीत Capacitive सर्किट में विधुत धारा ,वोल्टेज से आगे निकल जाता है| मतलब वोल्टेज तथा करंट में फेज डिफरेंस उत्पन्न हो जाता है। अर्थात Inductance तथा Capacitance सर्किट में दो अलग अलग फेज उत्पन्न कर देता है। इसका मतलब हुआ की किसी भी सर्किट में Inductor या Capacitor लगाकर दो अलग अलग फेज उत्पन्न किया जा सकता है।

कापसिटर के बारे में मैंने पूरा समझाया है जरुर पड़े

इसी कारण से सिंगल फेज मोटर के स्टार्टिंग वाइंडिंग में CAPACITOR को जोड़ा जाता है। CAPACITOR को जोड़ने पर मोटर में कुछ इस प्रकार ACTION होता है:-
१* स्टार्टिंग वाइंडिंग में कैपासिटर जोड़ने से करंट ,वोल्टेज से 45 डिग्री आगे चलता है।
२* स्टार्टिंग वाइंडिंग में राउंड की संख्या ज्यादा होती है इसलिए यह एक Inductor की तरह कार्य करता है जिससे इसमें वोल्टेज ,करंट से 45 डिग्री आगे रहता है।
इस प्रकार मोटर में प्रवाहित होने वाली CURRENT का परिमाण ,वोल्टेज से 90 डिग्री पीछे हो जाता है और मोटर के अन्दर दो फेज उत्पन्न हो जाते है और मोटर SELF START हो जाता

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