लेखक श्री राजेश अलोने
इस पोस्ट में हम समझते हैं की ALCO LOCOMOTIVE और EMD LOCOMOTIVE में क्या अंतर होता है| इन दोनों में पावरफुल कौन होता है| इसमें एक ज्यादा धुवा क्यों देता है और एक कम धुवा क्यों देता है|
आपने देखा होगा रेलवे स्टेशन पर इंजन को कई कई घंटे चालू कंडीशन में छोड़ दिया जाता है उसे बंद नहीं किया जाता है हम समझेंगे कि उसे क्यों स्टार्ट छोड़ दिया जाता है|
लोकोमोटिव समझने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए की वह किस गेज की है। लोहे की दो पटरियों के बीच के गैप को हम गेज कहते हैं| और बीच में रखा सीमेंट टुकड़ा स्लीपर कहलाता है|
भारत में अधिकतम ट्रेनें वाइड गेज मतलब ब्रॉड गेज की ही चलती है| इसे w (डब्लू ) से दर्शाया जाता हैं| ट्रेन के इंजन के आगे लिखे नंबर पर हमें w जरूर देखने को मिलेगा|
वाइट गेज में दोनों पटरियों के बीच की दूरी 1676 एमएम होती है| अगर इसे feet में नापे तो यह 5 फिट 6 इंच होती है|
TYPE OF RAILWAY ENGINE
गेज को समझने के बाद अब महत्वपूर्ण बात यह है कि इंजन को पावर कहां से मिल रहा है डीजल से मिल रहा है या इलेक्ट्रिसिटी से मिल रहा है|
यदि इंजन को इलेक्ट्रिक पावर मिल रहा है तो उसे A से दर्शाते हैं और यदि डीजल से मिल रहा है तो उसे D से दर्शाते हैं|
जो लोकोमोटिव पैसेंजर ट्रेन को खींचता है उसके आगे P लिखा रहता है|
जो लोकोमोटिव गुड्स को खींचता है उसके आगे G लिखा जाता है|
जो लोकोमोटिव उपरोक्त दोनों को खींचता है उसे मिक्स लोकोमोटिव कहते हैं इससे M से दर्शाते हैं
और जो लोकोमोटिव शंटिंग के काम में आता है उसे S से दर्शाते हैं|
शंटिंग का मतलब यह होता है कि जहां माल गाड़ियां खाली होती है वहां किसी डब्बे को आगे पीछे करने के लिए काम में लिया जाने वाला इंजन होता है|
इस प्रकार चार प्रकार के इंजन होते हैं|
उपरोक्त दिए गए इंजन में WDM लिखा है| इसका मतलब यह है कि यह वाइड गेट पर चलने वाला डीजल इंजन है| जो गुड्स और पैसेंजर दोनों को खींच सकता है|
आप समझ गए होंगे की हर एक लोकोमोटिव के सामने डब्ल्यू जरूर लिखा हुआ मिलेगा क्योंकि आजकल भारत में सभी ट्रेनें वाइड गेज पर चल रही है|
डीजल लोकोमोटिव 4 कैटेगरी में जा सकता है
पैसेंजर ट्रेन को खींचेगा तो इसके आगे P लिखा रहेगा
गुड्स को खींचेगा तो इसके आगे G लिखा रहेगा
मिक्स को खींचेगा इसके आगे M लिखा रहेगा
और यदि शंटिंग के काम में लिया जाता है तो इसके आगे S लिखा रहेगा
अब जो इलेक्ट्रिक करंट पर चलने वाला इंजन होता हैं वह भी वाइड गेज पर ही चलता हैं लेकिन यह एसी ट्रेक्शन पर चलते हैं इसलिए इसे इसे A से दर्शाते हैं| इस प्रकार इसके भी चार प्रकार हो जाते हैं|
इन इंजन को बनाने के लिए इंडिया में कुछ फेमस कंपनिया है|
एक है ALCO LOCOMOTIVE इस का फुल फॉर्म होता है अमेरिकन लोकोमोटिव कंपनी|
और दूसरी है EMD इस का फुल फॉर्म होता है इलेक्ट्रो मोटिव डीजल
इन दोनों इंजन में मुख्य अंतर यह होता है की एल्को लोकोमोटिव फोर स्ट्रोक इंजन होता है जबकि इएमडी लोकोमोटिव टू स्ट्रोक इंजन होता है|
फोर स्ट्रोक इंजन का मतलब यह होता है कि एक बार डीजल जलेगा और इसका पिस्टन 4 बार ऊपर नीचे होगा| जबकि ईएमडी लोकोमोटिव टू स्टोक होने के कारण दो बार ही ऊपर नीचे होगा|
फोर स्टॉक का पिकअप कम रहता है जबकि टू स्टोक का ज्यादा रहता है|
एल्को लोकोमोटिव में फिल्टर नहीं लगा होने के कारण यह धुवा ज्यादा देता है और ईएमडी लोकोमोटिव में फिल्टर होता है इसलिए यह धुवा कम देता है|
एल्को लोकोमोटिव का माइलेज कम होता है यह 1 लीटर में लगभग 300 मीटर तक चल सकता है जबकि ईएमडी लोकोमोटिव का माइलेज ज्यादा होता है यह 1 लीटर में 400 मीटर चल सकता है|
इलेक्ट्रिक ट्रेन में इंजन को ऊपर के तार से फेस मिल जाता है और पटरी से जुड़े चक्के से अर्थिंग के माध्यम से न्यूट्रल मिल जाता है|
इलेक्ट्रिक ट्रेन की मोटर थ्री फेस पर चलती है
ट्रेन का इंजन ऊपर लगे तार से सिंगल फेज लेता है और इसके अंदर एक बड़ा सा रेक्टिफायर लगा होता है जो कि इस AC CURRENT को डीसी में बदल देता है| फिर इस डीसी को थ्री फेस AC में बदला जाता है|
डीजल से चलने वाला लोकोमोटिव भी इलेक्ट्रिक से ही चलता है बस इसमें लगे जनरेटर द्वारा इलेक्ट्रिसिटी पैदा की जाती है| और इंजन के चक्के के पास लगे ट्रेक्शन मोटर को दी जाती है| जिससे यह मोटर घूमती है और इंजन चलता है|
कभी-कभी दो लोकोमोटिव इंजन को आपस में जोड़कर ट्रेन को खींचा जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि जब बहुत ज्यादा लोडेड ट्रेन को खीचना होता है इसीलिए दो लोकोमोटिव को जोड़ा जाता है| या किसी पैसेंजर ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा करनी हो तब दो इंजन को जोड़ा जाता है|
इन दोनों लोकोमोटिव में पायलट नहीं होता है केवल आगे वाले लोकोमोटिव में कि पायलट होता है
जो लोकोमोटिव इंजन आगे की ओर होता है उससे लीड लोको कहते हैं और जो पीछे होता है उसे ट्रायल लोको कहते हैं|
इन दोनों लोकोमोटिव को एक 27 कोर केबल के द्वारा आपस में कनेक्ट किया जाता है जिससे आगे के इंजन में बैठा पायलट पीछे वाली इंजन को भी कंट्रोल कर लेता है|
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