लेखक श्री राजेश अलोने
इस आर्टिकल में पूरा पढ़िए कि आखिर मुफ्त बिजली (FREE ELECTRICITY) या बिजली बिल माफी योजना देश को किस दलदल में धकेल रही है इसके आने वाले परिणाम कितने भयानक होंगे आपको पूरा पढ़ने पर ही समझ आयेगा|
आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात कर रहे है।जिसके कारण देश धीरे धीरे कैसे दलदल और तबाही का शिकार हो रहा है।
बात करेंगे सरकारों की फ़्री बिजली योजना की और उसके होने वाले कई दुष्प्रभाव की तो आप इस आर्टिकल को लोगो से जरूर शेयर करे उन्हें पढ़ने को जरूर कहे उन्हें जागरूक करे। ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो|
COAL SHORTAGE IN INDIA || बिजली संकट का कारण है कोयले की कमी || भारत में बिजली संकट के प्रमुख 3 कारण
फ्री बिजली योजना कैसे देश को तबाह कर रही है|
विद्युत उत्पादन महंगा होना
आजकल आए दिन सरकार कुछ भी मुफ्त में देने की घोषणा कर देती है। और भारत में फ्री में कुछ भी देने की होड़ अब सरकारी योजनाओ का रूप ले चुकी है।
सरकार जैसे ही लोंगो को बिजली मुफ्त में देती है| सरकार पर करोड़ों रुपए का भार आता है। समझने वाली बात यह है कि कोई भी सरकार अपने जेब से पैसे नहीं देती। वह तो जनता के टैक्स पर चलती है।
जैसे ही मुफ्त बिजली की घोषणा होती है। सरकार अपनी खुद की तारीफ करना शुरु कर देती है| कि बहुत अच्छा कर दिया गया है| लेकिन कुछ समय बाद सरकार चुपके से उत्पादन का रेट भी बढ़ा देती है| जिसका पूरा भार फिर से जनता को ही भुगतना पड़ता है| इससे हर साल बिजली के रेट बढ़ते है और यह समस्या आगे चलकर और भी बड़ी समस्या उत्पन्न होने लगती है।
इंडस्ट्री, कॉमर्शियल रेट का बहुत महंगा होना और उसके प्रभाव
सरकार बड़े पैमाने पर बिजली बिल माफ करती है या छूट देती है। उसका पूरा भार उन लोगो पर आता है जो कॉमर्शियल उपयोग में बिजली का उपयोग करते है| उनकी मीटर कॉस्ट ,प्रति यूनिट बिजली का रेट, फिक्स सब बढ़ा दी जाती है| जिससे वह उद्योग अपने प्रोडक्ट और सर्विस को महंगा कर देते है। फिर से इसका भार जनता की जेब पर ही आता है|
उदाहरण के लिए किसी कंपनी को महंगी बिजली मिलेगी तो उसे मजबूरी में अपने प्रोडक्ट महंगे करना पड़ेगा। तो इसका भुगतान या जनता को उठाना पड़ेगा या फिर वह कंपनी धीरे धीरे लॉस में जाएगी| जिससे देश के उद्योगों को खतरा होगा ।
अप्रत्यक्ष महगांई तेजी से बढ़ना
देश में लगभग हर चीजे बिजली से जुड़ी हुई है। तो देश में कितने काम होते होंगे जिसका संबंध सीधे जनता के जीवन से जुड़ा है।
अगर बिजली ऐसे ही अंधाधुंध माफ होते रही तो अरबों रुपयों के भार को मैनेज करने के लिए बिजली को दूसरे लोगो पर महगीं करती रहेगी| उससे देश में व्यापार पर तो विपरीत प्रभाव पड़ेंगे ही साथ ही हर तरफ महगांई की अफ़रा तफरी भी बढ़ेगी| और यह कई स्तर पर बढ़ेगी।
बिलजी प्लांट में नौकरी का खत्म होना
बिजली बिल माफ होने के बाद सरकारी प्लांट घाटे का सामना करते है| जिससे उनका बजट ही नहीं बच पाता है।
जिससे युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां भी खत्म होती जा रही है ।सभी युवा जो बड़ी उम्मीद से टेक्निकल एजुकेशन लेकर ऐसे स्थान पर जॉब का सपना देख रहे है। उनके लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि अब घाटे के कारण कई चीजे प्राइवेट हाथो में जा रही है।
बिजली वसूली में समस्या होना
जब बिजली की माफी होती है उस समय लोगो को बिजली बिल नहीं देने की आदत लग जाती है। उन्हें ये उम्मीद रहती है सरकार की तरफ से उनका बिजली बिल माफ हो जायेगा।
एक सर्वे के अनुसार भारत के कई जिले में एक दो ऐसे क्षेत्र जरूर है जिस जगह लोग बिजली कर्मचारियों जो वसूली करने आते समय उन पर जानलेवा हमला तक कर देते है| और वोट बैंक के कारण उन पर कोई कार्यवाही भी नहीं होती। यह समस्या भारत में काफी गंभीर होते जा रही है। जिससे बिजली की चोरी बड़े पैमाने पर हो रही है। और बिजली बिल सही समय पर जमा करने वालो को रेगुलर बिजली नहीं मिल पा रही है।
लोगो की लापरवाही
जब सरकार बिजली बिल माफ करती है। लोग इसका गलत तरीके से इस्तेमाल भी करना शुरू कर देते है। और बिजली को बचाने के बारे में नहीं सोचते।
क्योंकि बिजली कितनी भी जले तो उन्हें पैसे नहीं देने है और ना ही उनको कोई चिंता है। बाद में बिजली बिल तो माफ कर ही दिया जाएगा। या फिर कितनी भी बिजली जलाइए बिल तो 100 रूपए से ज्यादा नहीं आयेगा।
रेगुलर कर्मचारी की सैलरी की किल्लत
बिजली बिल माफी के बाद जनरेशन कंपनिया घाटे में चले जाती है। जिससे नए युवाओं की भर्ती तो बन्द हो ही जाती है और प्राइवेट टेंडर पर काम अधिक होते है। जिससे उनके रेगुलर कर्मचारी की समय पर सैलरी उनकी बोनस सब रुक जाते है| जिससे हड़ताल या आंदोलन में जाते है और मानसिक रूप से परेशान रहते है।
दोबारा बिजली बिल माफ करने वाली स्थिति का बनना
अगर एक बार बिजली बिल माफ कर दिया जाता है। तो लोगो को ये लगता है कि अब हमेशा ही ऐसा होता रहेगा । और हम उसी सरकार को वोट देंगे जो ऐसे करेगी। वास्तव में यह एक जहर है या स्लो प्वाइजन जैसा है जंहा गरीबों को एक छोटी सी सुविधा दो और पीछे से उनकी जेब पर महगांई के रूप में डाका डालने की और वोट बैंक तैयार करने की।
इसी वजह से सरकारें अब हर 4-5 सालो में बिजली बिल माफ करने पर उतारू हो जाती है। ताकि जनता उन पर आकर्षित हो और उनको वोट दे|
सरकारी खजाने पर बोझ बनना
बिजली माफी की रकम पर ध्यान देंगे तो यह रकम अरबों रुपए होती है साथ ही अगर यूनिट में डिस्काउंट दिया जाए तो यह अरबों रुपए सरकार को हर महीने खुद ही झेलने होते है। वह जिस जगह जितना टैक्स लगा सकती है लगाएगी। लेकिन पर्याप्त पूर्ति नहीं होने से दूसरे आय के स्रोत के खजाने से भरने पर मजबुर होती है। जिससे सरकार के विकास योजना समय पर पूरी नहीं होती। और यह किसी भी राज्य या देश के लिए बहुत बड़ी समस्या है जो आगे जाकर बहुत बड़े स्तर पर जनता की जिंदगी को प्रभावित करेगी।
लोगो को गरीबी के जाल में फसाना
वास्तव में बिजली माफी हो या कोई भी मुफ्त की योजना। यह लोगो को गरीबी में फंसाए रखने और वोट बैंक बनाए रखने का एक जरिया बन गया है। और आम जनता तुरंत थोड़े से फायदे में खुश होती है।
और ऐसी कई मुफ्त की योजनाओं के कारण ही भारत के विकास कार्य समय पर नहीं हो रही है। सरकार के उपक्रम तबाह होते जा रहे है। महगांई तेजी से बढ़ती जा रही है| उद्योगों पर कई प्रकार के टैक्स लगाने से वे तबाही की ओर जाते है। दूसरी तरफ लोग मुफ्त के चक्कर में अपनी सोच समझ अपनी आय के साधन को लेकर मेहनत नहीं करना चाहते। इसलिए एक स्तर तक का ही जीवन जीने को मजबुर है, और सरकारों से पूरी उम्मीद पालकर बैठे है। ऐसे लोगो को सही एजुकेशन सही समय पर नसीब नहीं हो पा रहा है इसलिए वे इस बदलते परिवेश में पूरी जिंदगी भर के लिए पिछड़ जाते है।
शहरी क्षेत्र में बिजली बिल का अतिरिक्त भार बढ़ना
जैसे ही लोगो का बिजली बिल माफ होता है। शहरी क्षेत्र में बिजली का रेट बढ़ जाता है। और बिजली बिल में कई प्रकार के कॉस्ट को एड कर के दिया जाता है। जिससे शहर में होने वाली सभी गतिविधियां तुरंत महंगी होती है। जैसे किराया , कोचिंग,पानी,मकान टैक्स,बिजली के कार्य के उत्पाद,कोल्ड उत्पाद,होटल उत्पाद,लगभग सभी चीजे
इसका अर्थ हुआ की बड़े वोट बैंक को खुश करने की सजा दूसरे लोगो को चुकानी पड़ती है।
पावर प्लांट का प्राइवेटीकरण होना
आजकल भारत में कई सरकारी पॉवर प्लांट प्राइवेट हाथो में जाने की कागर पर है| राज्यो के संचालित प्लांटों की हालत और बुरी है।
खबरों के अनुसार कई पॉवर प्लांट को कोयला नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि उनके पास चुकाने का बजट ही नहीं बचता और उधार पहले से ही पड़ा हुआ है। दूसरी तरफ कोयला ना मिलने पॉवर प्लांट ठप्प हो रहे है। यह सभी स्थिति आखिर क्यों उत्पन हो रही है सोचने वाला विषय है।
कर्ज में सरकार चलाना
जब कोई भी सरकार अपनी मुफ्त की योजनाओं को बढ़ाती है तो वह गरीबी को न्योता दे रही होती है ।साथ ही अपनी आने वाली पीढ़ी को रोजगार नहीं देना चाहती है।
वह स्वयं कर्ज में डूबने के बावजूद बड़े बड़े वादे करती है और अंदर से खोखली हो जाती है। और अपनी पूरी सरकार को कर्ज में चलाने से वह कभी भी भविष्य की योजना तैयार नहीं कर पाती ऐसे में जनता के जीवन स्तर में कभी सुधार हो ही नहीं सकता और ना ही जनता की सोच कभी बदलती है ।
विकाश योजनाए तबाह होना
पिछले कई बिंदुओं से साफ हो जाता है कि विकास कार्यों के लिए सरकारी योजनाओ को बड़ी मात्रा में पैसा चाहिए होता है उसके लिए वह जानता से टैक्स लेती है। लेकिन अगर वह मुफ्त योजनाओ में ही सब कुछ करेगी तो विकास कभी नहीं हो पाएगा| ऐसे में योजनाओ की घोषणा तो होगी लेकिन कार्य समाप्त होने में दशकों लगेंगे। और किसी भी परियोजना का समय पर होने के लिए सरकार के बजट में भारी मात्रा में पैसा होना जरूरी है नहीं तो वह सिर्फ गरीबी बेरोजगारी के अलावा कुछ नहीं देगी|
निष्कर्ष
कुछ मुफ्त योजनाओ का होना आवश्यक हो सकता है जिससे आम जनता को विपरीत स्थति में सहारा मिले और ऐसा जरूरतमंद लोगो को ही मिले। लेकिन मुफ्त का यह चक्र पूरे सिस्टम और देश या राज्य को हो तबाह करते जाए ये सोचने योग्य विषय है
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