Battery Charger एक ऐसा उपकरण है जो की विद्युत के रूप में charge को बैटरी में store करने में मदद करता है| यह एक external devices होता हैं| इसे डायरेक्ट हम घर के AC सॉकेट में connect लगाते हैं| इसमें एक adapter लगाया जाता है जो AC current को dc करंट में बदलता है| इस DC current से ही Battery charge होती है|
Chargers का उपयोग हम सबसे ज्यादा Mobile Battery की चार्जिंग करने के लिए करते हैं| mobile battery charger ऐसा चार्जर जो की मोबाइल की बैटरी को automatically recharge करता है|
बैटरी का चार्जर कैसे काम करता है
बैटरी का उपयोग हर जगह होता है। चार्जेबल बैटरी इनवर्टर में भी उपयोग किया जाता है| इसमें DC करंट को AC करंट में बदला जाता है| मैंन पावर ऑफ होने पर घरेलू उपकरणों को बिजली प्रदान करने लिए इसका उपयोग किया जाता है।
बैटरी का महत्व इस बात से और भी बढ़ जाता है की इसमें बिजली स्टोर की जाती है और इसे कही भी ले जा सकते हैं। इसके अलावा जब बैटरी में चार्जिंग समाप्त हो जाती है, तो इसे फिर से रिचार्ज किया जा सकता है|
बैटरी चार्जर सर्किट काफी सरल होता है| बैटरी के लिए पुल्स चार्जिंग अच्छी नही होती है इसलिए अच्छी क्वालिटी, और निरंतर वोल्टेज वाले चार्जर की डिमांड होती है।
मोबाइल चार्जर की कार्यप्रणाली
हमारे घरो में 230 AC Voltage होता है| जब चार्जर को घर के सप्लाई के सॉकेट से कनेक्ट करते है तो इसके अंदर मौजूद स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर वोल्टेज को कम कर देता है| हमने ट्रांसफार्मर की कार्य विधि बहुत ही अच्छी और सटीक भाषा में समझाई है उसे जरुर पड़े|
यह डाउन वोल्टेज जब डायोड में जाता है तो यह AC Voltage को DC Voltage में बदल देता है। (डायोड क्या है कैसे काम करता है जरुर पड़े|)
ए. सी वोल्टेज के दो साइकिल पॉजिटिव और नेगेटिव होते है| जबकि डायोड से उत्पन्न डीसी में सिर्फ पॉजिटिव साइकिल होती है| इसे पलसेटिंग डी.सी.भी कहते हैं| यह डी सी वोल्टेज प्योर नहीं होता है| क्योंकि इसमें फ्लचुएशन उत्पन्न होते हैं|
प्योर डीसी वोल्टेज प्राप्त करने के लिए फिल्टर सर्किट का उपयोग किया जाता हैं जो की एक प्रकार का कैपेसिटर होता है। कैपेसिटर ए.सी. वोल्टेज को पास कर देता है| और डी. सी. वोल्टेज को पास नहीं करता है| इस प्रकार हमें प्योर डी. सी. आउटपुट में मिल जाती है।
यहाँ हमें आउटपुट में तो प्योर डी.सी. प्राप्त हो जाती है लेकिन यह रेगुलेटेड नहीं होती है| इसके लिए रेगुलेटेड सर्किट का उपयोग करते हैं जो की आवस्यक्तानुसार ही वोल्टेज प्रदान करता है।
Types of Battery Chargers हिंदी
बैटरिया विभिन्न प्रकार की होती है| इनको चार्जिंग के लिए विभिन्न प्रकार के चार्जर का उपयोग करते हैं। नीचे विभिन्न प्रकार के चार्जर के प्रकारों के बारे में दिया गया है|
Simple Chargers:
यह एक साधारण चार्जर होता है जो बैटरी को चार्ज करने के लिए प्योर DC या पल्स DC वोल्टेज की आपूर्ति करता है। एक साधारण चार्जर, समय या बैटरी की गुणवत्ता के अनुसार अपना आउटपुट नहीं बदलता है। यह एक सस्ता चार्जर होता है|
इस चार्जर के द्वारा बैटरी चार्जिंग होने में अधिक समय लगता है क्योंकि यह उच्च वोल्टेज के नुकसान को रोकने के लिए कम चार्जिंग रेट पर सेट होता है।
Intelligent Chargers
एक “स्मार्ट चार्जर” के द्वारा “स्मार्ट बैटरी” को चार्ज किया जाता है| एक स्मार्ट बैटरी आमतौर पर किसी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या “चिप” के रूप होता है जो बैटरी विशेषताओं और स्थिति के बारे में एक स्मार्ट चार्जर के साथ कम्युनिकेशन स्थापित कर सकता है।
स्मार्ट चार्जर का आउटपुट वोल्टेज बैटरी की स्थिति पर निर्भर होता है। एक स्मार्ट चार्जर निश्चित चार्जिंग वोल्टेज निर्धारित करने के लिए बैटरी के वोल्टेज, तापमान और चार्जिंग के समय की निगरानी कर सकता है।
एक स्मार्ट चार्जर एक घंटे से भी कम समय में अपनी अधिकतम क्षमता का लगभग 80% से 85% तक बैटरी को तेजी से चार्ज करने में लगता है| फिर चार्जिंग धीरे-धीरे करता हैं| जिससे बैटरी को पूरी चार्ज होने के लिए कई घंटे लग सकते हैं।
Pulse Chargers
कुछ चार्जर में पल्स टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता हैं| इसमें डीसी वोल्टेज की एक श्रृंखला बैटरी को दी जाती है|
पल्स चार्जिंग के साथ, बैटरी को अधिक गरम किए बिना हाई तात्कालिक वोल्टेज लागू किया जा सकता है। lead acid battery में यह लीड-सल्फेट क्रिस्टल को तोड़ देता है| इस प्रकार बैटरी लाइफ बढ़ जाती है।
कुछ चार्जर पहली बार कनेक्ट होने पर इन पल्स का उपयोग बैटरी के करंट को चेक करने के लिए करते हैं| इसका मकसद चार्जिंग के लिए कांस्टेंट करंट को जांचना होता हैं| बाद में चार्ज मेंटेन रखने के लिए धीरे-धीरे चार्जिंग के रूप में पल्स चार्जिंग का उपयोग करता हैं।
Three Stage Chargers
चार्जिंग की स्पीड बढ़ाने के लिए और लगातार चार्जिंग के लिए एक स्मार्ट चार्जर, बैटरी की चार्जिंग स्थिति का पता लगाने की कोशिश करता है|
पहले स्टेज को “bulk absorption” कहा जाता है| इसमें 25 डिग्री सेल्सियस पर एक सीलबंद लीड एसिड ट्रैक्शन बैटरी में चार्जिंग करंट हाई और स्थिर दिया जाता है| जब बैटरी में वोल्टेज अपने आउटगोइंग वोल्टेज (प्रति सेल 2.22 वोल्ट) तक स्टोर हो जाता है तो चार्जर दूसरे स्टेज में स्विच होता है| फिर आउटगोइंग करंट को मेंटेन वोल्टेज पर गिरा दिया जाएगा, और जब वर्तमान तापमान से कम हो जायेगा तो चार्जर अपने तीसरे स्टेज में प्रवेश करेगा| चार्जर आउटपुट प्रति सेल 2.25 वोल्ट पर स्थिर रहता है| तीसरे चरण में, चार्जिंग वर्तमान 0.005 डिग्री सेल्सिअस होता है और इस वोल्टेज पर बैटरी को पूर्ण चार्ज पर बनाए रखा जा सकता है| इस पर सेल्फ-डिस्चार्ज की क्षतिपूर्ति हो सकती है।
Solar Chargers:
इनमें लाइट एनर्जी को डाइरेक्ट करंट में बदलने की क्षमता है। ये चार्जर पोर्टेबल होते हैं लेकिन इन्हें फिक्स भी किया जा सकता है। फिक्स चार्जर सौर पैनलों के रूप में जाने जाते है।