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ELECTRIC DEVICES AND THEIR USES

यह सिख लिया तो MOTOR कभी नही बिगड़ेगी || डी.सी.मोटर (D.C. Motor) क्या है || डीसी मोटर का कार्य सिद्धांत || DC MOTOR WORKING प्रिंसिपल !!

लेखक श्री राजेश अलोने (इंजिनियर इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड)

परिचय
डीसी मोटर क्या है
DC मोटर विद्युत् उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने वाली एक मशीन है| जिन स्थानों पर स्पीड को कण्ट्रोल करने की आवस्यकता होती है वहा पर डी.सी.मोटर का उपयोग किया जाता है|


डीसी मोटर डायरेक्ट करंट पर चलने वाला मोटर है। जिन स्थानों पर ज्यादा torque की आवश्यकता होती है वहा इसका उपयोग किया जाता है| क्योंकि यह speed और torque के बीच डीसी की जीरो फ्रीक्वेंसी के कारण अच्छा संबंध बनाती है| इसका उपयोग मुखयतः मिलो खदानों और ट्रेन (electric train) में किया जाता है।

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डीसी मोटर का कार्य सिद्धान्त (Working Principle of DC Motor)

यदि किसी कंडक्टर को जिसमे करंट बह रहा हो को मेग्नेटिक फील्ड में रखा जाये तो उस पर एक mechanical force लगता है जिसे हम Fleming’s left hand rule से ज्ञात कर सकते है| इस फ़ोर्स के कारण कंडक्टर मेग्नेटिक फ़ोर्स की दिशा में गति करने लगता है| यही मोटर का कार्य सिद्धान्त है।

थ्री फेस मोटर का स्टार में कनेक्शन कैसे करेंगे?

How To Work DC generator

Starter best knowledge for dc motor


जैसे यदि
कंडक्टर की लम्बाई= L मीटर,
क्षेत्र तीव्रता = B बेबर प्रति वर्ग मीटर (Bwb/m2 )
तथा कंडक्टर में प्रवाहित होने वाली करंट = i ऐम्पियर हो तो
कंडक्टर पर लगने वाला फ़ोर्स
F = iBL न्यूटन होगा।

working of DC motor in Hindi)


जब किसी डीसी मोटर को डीसी सप्लाई से जोड़ा जाता तो उसके मैग्नेटिक पोल excite हो जाते है। और चुंबकीय क्षेत्र बनने लगता है।


जब आर्मेचर का कंडक्टर N-pole की तरफ होता तो कंडक्टर मे करंट की दिशा अंदर की तरफ होती है। और जब आर्मेचर का कंडक्टर S-pole की तरफ होता है तो कंडक्टर मे करंट की दिशा बाहर की तरफ होती है। कंडक्टर में करंट बह रहा होता है और उसे मैग्नेटिक फील्ड में रखा है तो आर्मेचर के कंडक्टर पर एक मेग्नेटिक फील्ड लगता है| जिसके कारण armature का कंडक्टर , आर्मेचर को घुमाने लगता है|

इस लगने वाले बल की दिशा हम फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं।
जब armature घूमता है और आर्मेचर का कंडक्टर उसमें लगे ब्रश से होते हुए दूसरी दिशा में जायेगा तो उस कंडक्टर मे करंट की दिशा भी बदल जाएगी| और उसके साथ ही polarty भी change होगी| Polarty के बदलने से फ़ोर्स की दिशा एक जैसी रहेगी और मोटर लगातार एक ही दिशा में घुमती रहेगी।

DC मोटर की संरचना

  संरचना की  के दृष्टि से  डी .सी .मोटर तथा जनरेटर में कोई  खास  अन्तर नहीं होता है । इसे  मोटर तथा जनरेटर दोनों प्रकार से उपयोग में लिया जा सकता है| यदि इस  मशीन को सप्लाई दी  जाये तो यह घुमने लगेगी इससे हमे  यान्त्रिक ऊर्जा प्राप्त होती है| तब यह मशीन को मोटर कहते है| और यदि इस मशीन को किसी primemover  द्वारा यान्त्रिक ऊर्जा  दी जाये या घुमाया जाये  तो उससे हमें इलेक्ट्रिक एनर्जी  प्राप्त होती है तब  यह  मशीन जनरेटर कहलाती है|  
Dc motor structure

डी.सी.मोटर में मुख्य दो भाग होते हैं

(A) स्टेटर
(B) आर्मेचर

स्टेटर में विभिन्न भाग होते हैं।

(1) योक yoke
(2) pole Shoe
(3) field winding

(4) end plates

योक (yoke)


डी.सी.मशीन योक या ढाँचा पोल के बीच मेग्नेक्टिक सर्किट की पूरा करता है।| छोटी मोटरों में यह cast iron के और बड़ी मोटरों में इस्पात के बने होते है|

आर्मेचर (Armature)


आर्मेचर मोटर का घुमने वाला पार्ट होता है| आर्मेचर की कोर में वाइंडिंग की जाती है |
Types of dc motor in hindi)
डीसी मोटर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।

  1. self excited motor
  2. separately excited motor

self excited motor


इस मोटर को किसी बाह्य सोर्स के द्वारा excite करने की आवस्यकता नहीं होती है। यह स्वयं ही उत्तेजित हो जाती है इसलिए इसे self excited motor कहते है|
ये मुख्य तीन प्रकार की होती है|
DC series motor
DC shunt motor
DC compound motor

separately excited motor


इस मोटर को चलाने के लिए अलग से बाह्य सोर्स द्वारा एक्साइट करने की जरूरत पड़ती है।


DC series motor in hindi
डीसी सीरीज मोटर में field winding को आर्मेचर की सीरीज में कनेक्ट किया जाता है।

series motor


फील्ड बिल्डिंग में उतना ही करंट बहता है जितना आर्मेचर के कंडक्टर में होता है। इसमें एक समान EMF के लिए winding मोटे तार की और में कम टर्न रखे जाते है, ताकि करंट की अधिक मात्रा सहन कर सके|


DC shunt motor


इस मोटर की फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर के समांतर में लगाई जाती है| यह पतले तार और अधिक टर्न देकर बनाई जाती है|

dc shunt motor


इसके फील्ड वाइंडिंग का रजिस्टेंस अधिक होता है इसमें बहुत कम करंट बहता है। इस प्रकार के मोटर की स्पीड एक सामान होती है| इसका उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहां पर एक समान स्पीड की आवश्यकता होती है। इसका starting torque सीरीज मोटर की अपेक्षा कम होती है।

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सिंगल फेस मोटर


DC Compound motor


कंपाउंड मोटर में दोनों प्रकार के बाइंडिंग शन्ट फील्ड वाइंडिंग और सीरीज फील्ड वाइंडिंग होती है। इसे प्रकार की वाइंडिंग से प्रयोग किया जाता है। पहला कनेक्शन

short shunt connection और दूसरा कनेक्शन long shunt connection होता है।

long shunt

short shunt


डीसी कंपाउंड मोटर दों प्रकार की होती है।

  1. differential compound motor
  2. cumulative compound motor

use of DC motor in Hindi


डीसी मोटर हम जानते हैं कि कई प्रकार की होती हैं जिसकी अलग-अलग विशेषताए होती है। तो आइये गुण और विशेषता के आधार पर इनके उपयोग समझते है|
डीसी सीरीज मोटर
डीसी सीरीज मोटर में starting torque ज्यादा होता है| इसलिए इसे ज्यादातर उपयोग ड्रिल मशीन में ट्रेन में ट्रेक्शन में मोटर के रूप में किया जाता है।
डीसी शंट मोटर
इस मोटर का विशेष गुण यह होता है कि यह नो लोड पर और फुल लोड पर भी लगभग एक समान स्पीड से चलती है। इसलिए इसका इस्तेमाल मिलो में आदि किया जाता है जहां पर मोटर को फुल लोड पर भी समान चाल से चलाने की जरूरत हो|
Compound motor
ये दो प्रकार की होती है| differential compound motor और cumulative compund motor.


differential compound motor
इस मोटर उपयोग व्यवसायिक या घरेलू स्तर पर कोई उपयोग नहीं किया जाता है। इसका उपयोग सिर्फ रिसर्च के लिए प्रयोगशालाओं में ही किया जाता है।
cumulative compund motor.

इस motor का स्टार्टिंग टार्क अधिक होता है इसलिए इसका उपयोग पंचिंग मशीन आदि में किया जाता है।

डीसी मोटर्स के फायदे
• इसमें आर्मेचर कंट्रोल विधि से डीसी शंट मोटर स्पीड कण्ट्रोल कर सकते है|
• डीसी मोटर का उपयोग पेपर मिलों आदि में किया जाता है क्योकि इससे एक जैसी स्पीड संभव है|
• डीसी सीरीज़ मोटर्स में हाई स्टार्टिंग टॉर्क होता है, इसलिए इसका उपयोग इलेक्ट्रिक ट्रेनों क्रेन, जैसी शुरुआती स्थितियों में भारी लोड उठाने के लिए किया जाता है।
• यह एक निश्चित स्पीड निरंतर Torque को बनाए रखने में सक्षम है।
• • इसमें एसी मोटर्स की तुलना में कम बिजली की खपत होती है।


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RAJESH ALONEY

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