introduction
whai is diode- डायोड एक ऐसा Electronic DEVICE है जो Current को सिर्फ एक ही दिशा में बहने देता है| इसमें दो Terminal होते है|
डायोड में एक सिल्वर रंग की लाइन होती है वह ये दर्शाती है की उस तरफ नेगेटिव टर्मिनल यानि Cathode है| और एक ट्रायंगल सिंबल की नोक की तरफ पॉजिटिव टर्मिनल यानि कैथोड है| और दूसरी तरफ एनोड है होता है|
डायोड P Types Semiconductor और N Types Semiconductor को डोपिंग द्वारा बने होते है| इसलिए इन्हें P-N Junction डायोड कहते है|
डायोड का इतिहास
सन 1900 के आसपास Cat’s Whisker Diode का इस्तेमाल होता था| इसमें बहुत पलते तार की अर्धचालक की पत्तियों के बीच में रखकर इस्तेमाल किया गया था|
डायोड का कार्य सिद्धांत
Forward Bias
Forward Bias यानि अग्र अभिनति में Battery के धनात्मक सिरे को डायोड के एनोड या P सिरे से जोड़ा जाता है| और battery के ऋण सिरे को कैथोड से जोड़ा जाता है तब Current का प्रवाह होने लगता है|
Reverse Bias
इसमें Battery के धनात्मक सिरे को डायोड के कैथोड या N सिरे से जोड़ा जाता है| और ऋण सिरे को डायोड के एनोड या P सिरे से जोड़ा जाता है| तब इसे Reverse Bias या पशच अभिनति कहते है| इसमें करंट नहीं बहता है|
डायोड के प्रकार
जेनर डायोड (ZENER DIODE)
सन 1934 में Clarence Zener ने जेनर डायोड का अविष्कार किया था। यह एक सामान्य डायोड के जैसा बिजली को प्रवाहित करने का काम करता है| लेकिन यदि वोल्टेज ब्रेकडाउन वोल्टेज से ज्यादा हो जाए तो यह उल्टी दिशा में बहने का निर्देश देता है। इसका अविष्कार एकदम से आ जाने वाली वोल्टेज से बचने के लिए किया गया था। जेनर डायोड वोल्टेज रेगुलेटर के तौर पर भी काम करता है।
Light Emitting Diode – LED
यह डायोड विद्युत उर्जा को प्रकाश में बदलने का काम करता है। इसका आविष्कार 1968 में किया गया था। यह ज्यादा मात्रा में बिजली बचाता है| जिस वजह से लोग इसे घरों में इस्तेमाल करते हैं।
Shockley Diode
सन 1950 में William Shockley ने इसे बनाया था। यह अर्धचालक की 4 लेयर से बनी होती है। इस डायोड का नाम Walter H Schottky के नाम पर रखा गया है। Schottky Diode मे सेमीकंडक्टर और धातु का इस्तेमाल होता है| इसमें वोल्टेज काफी कम ड्रॉप होती है। इसमें करंट काफी मात्रा में प्रवाहित होता है|
टनल डायोड | Tunnel Diode
सन 1927 में Leo Esaki ने इसका आविष्कार किया था इसलिए इसे Esaki Diode भी कहते है| इसका इस्तेमाल तेजी से स्विच करने में होता है। जब कभी भी किसी उपकरण को एक सेकंड से भी कम समय में बंद चालू करना हो तब टनल डायोड को इस्तेमाल किया जाता है।

लेज़र डायोड | Laser Diode
इसे LD और इंजेक्शन लेजर डायोड भी कहा जाता है। यह एल इ डी की तरह काम करता है लेकिन यह प्रकाश का लेजर बीम बनाता है। इसका उपयोग कम्युनिकेशंस, बारकोड रीडर्स, लेजर पॉइंटर्स, Blu-ray डिस्क रीडिंग / रिकॉर्डिंग,CD / DVD / लेजर स्कैनिंग,लेजर प्रिंटिंग, और लाइट-बीम रोशनी आदि के लिए किया जाता है।

ये निम्न प्रकार के होते है|
1 Double Heterostructure Laser
2 Quantum Well Lasers
3 Quantum Cascade Lasers
4 Separate Confinement
5 Distributed Bragg Reflector Lasers
Varactor Diode
इस डायोड का उपयोग वेरिएबल कैपेसिटर की तरह भी किया जाता है। इसलिए इसे Varicap Diode भी कहते है| इसका उपयोग चार्ज को जमा करने के लिए किया जाता है तथा यह रिवर्स बॉयस्ड होता है। Varactor Diode वोल्टेज पर निर्भर रहने वाला सेमीकंडक्टर उपकरण है।
Constant Current Diode
इसका काम वोल्टेज को एक निश्चित करंट पर रेगुलेट करने का होता है| इसे Current Regulating Diode,Current Limiting Diode, Diode Connected Transistor के नाम से भी जाना जाता है|
Vaccum Diode
इसमें दो इलेक्ट्रोड कैथोड और एनोड लगे होते है| कैथोड टंगस्टन धातु का बना होता है जिससे वह इलेक्ट्रॉन को छोड़ता है और वह इलेक्ट्रॉन एनोड की तरफ जाता है| इसलिए यह एक स्विच के जैसा व्यव्हार करता है। अगर कैथोड में ऑक्साइड की परत चढ़ा दी जाए तो इलेक्ट्रॉन को छोड़ने की क्षमता ज्यादा हो जाती है।
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स्टेप रिकवरी डायोड
इस डायोड को चार्ज स्टोरेज डायोड भी कहते है। यह पॉजिटिव पल्स के चार्ज को जमा कर लेता है और उसे साइनोसोइडल सिग्नल की नेगेटिव पल्स में उपयोग करता है।
गोल्ड डोप्ड डायोड्स
इस डायोड में गोल्ड धातु का इस्तेमाल डोपेंट के रूप में किया जाता है। डायोड में रिवर्स बॉयस की कंडीशन में लीकेज करंट कम होता है। हाई वोल्टेज होने पर यह डायोड सिगनल फ्रिकवेंसी पर कार्य करता है।
Photo diode
इस प्रकार के डायोड का उपयोग प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। यह एक सौर सेल की तरह होता है। इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इसका उपयोग ट्रांजिस्टर के गेट में इसको TRIGGER करने के लिए होता है|
डायोड के कार्य
1- Rectification –
rectification का तात्पर्य है की AC voltage को DC voltage में बदलना| यह half wave rectifier (HWR) और full wave rectifier (FWR) और bridge rectifier के द्वारा किया जाता है|
Half wave rectifier:
ये circuit AC SUPPLY की फ्रीक्वेंसी की पॉजिटिव या नेगेटिव पल्स को rectify करते हैं
Full wave rectifier:
ये circuit entire AC signal को डीसी में बदलते है|
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