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ELECTRIC DEVICES AND THEIR USES

Transistor क्या है || और यह कैसे काम करता है? || Transistor working principle || HOW DO TRASISTOR WORK

परिचय (लेखक श्री राजेश अलोने -इलेक्ट्रिकल इंजिनियर )

ट्रांजिस्टर एक ऐसा semiconductor डिवाइस है, जिसका USE ELECTRONICS SIGNAL , SWITCH आदि के लिए किया जाता है.
ट्रांजिस्टर बहुत ही छोटा और साधारण सा electronic device है लेकिन इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किया जाता है|
transistor एक semiconductor से बना device है| इसका उपयोग करंट या वोल्टेज को संचालित करने के लिए किया जाता है|
transistor किसी switch और एक amplifier की तरह काम करता है| इसका उपयोग electronic signals के flow को control करने और regulate करने के लिए किया जाता है|

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Transistor कैसे काम करता है?

ट्रांजिस्टर एक Semiconductor डिवाइस है इसका उपयोग किसी भी Electronic Signals को Amply या Switch करने के लिए किया जाता है। इसे बनाने के लिए ज्यादातर सिलिकॉन और जेर्मेनियम अर्धचालक का उपयोग किया जाता हैं। इसमें 3 टर्मिनल होते हैं इनको Base, Collector और Emitter कहा जाता है।


ट्रांजिस्टर का अविष्कार (Who Invented the Transistor)

सन 1925 में जर्मनी के भौतिकी वैज्ञानिक Julius Edgar Lilienfeld ने Field-Effect Transistor (FET) को बनाया लेकिन यह सफल नही हो पाया|
इसके बाद सन 1947 में John Bardeen, Walter Brattain, और William Shockley ने मिलकर एक सफल ट्रांजिस्टर का अविष्कार किया इस्सके से पूरी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक फील्ड में एक क्रांति सी आ गई|
तब से लेकर अब तक लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा है|

ट्रांजिस्टर के प्रकार – Types of transistors in Hindi


सामान्यत ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं
P-N-P ट्रांजिस्टर
N-P-N ट्रांजिस्टर

P-N-P ट्रांजिस्टर क्या है?


यह ट्रांजिस्टर N-टाइप अर्धचालक की पतली परतों को P-टाइप अर्धचालक की दो मोटी परतों के बीच दबाकर बनाया जाता है| P-N-P ट्रांजिस्टर में बीच में बेस तथा बाएं ओर उत्सर्जक और दाएं ओर संग्राहक होता है|
उत्सर्जक को आधार के सापेक्ष पॉजिटिव चार्ज तथा संग्रहक को आधार के सापेक्ष नेगेटिव चार्ज दिया जाता है| इस प्रकार बाई ओर की उत्सर्जक आधार P-N जंक्शन कम प्रतिरोध वाली होती है| तथा दाएं और की आधार संग्राहक N-P जंक्शन उच्च प्रतिरोध वाली होती है|
जब N प्रकार के अर्धचालक पदार्थ की परत को दो P प्रकार के अर्धचालक पदार्थ की परतों के बीच में जोड़ा जाता है तो हमें P-N-P ट्रांजिस्टर मिलता है। यह ट्रांजिस्टर के दोनों साइड से देखने में एक जैसा दीखता हैं| इसके Emitter पर तीर का निशान लगाया जाता है| उसमें PNP में यह निशान अंदर की तरफ होता है और NPN में यह निशान बाहर की तरफ होता है| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कौन से ट्रांजिस्टर में तीर का निशान किस तरफ है।

N-P-N ट्रांजिस्टर क्या है?


यह ट्रांजिस्टर P-टाइप की अर्धचालक की परत को N-टाइप की अर्धचालक की 2 मोटी परतों के बीच दबाकर N-P-N ट्रांजिस्टर बनाया जाता है| इस ट्रांजिस्टर में उत्सर्जन को आधार के सापेक्ष नेगेटिव चार्ज तथा संग्रहक को आधार के सापेक्ष पॉजिटिव चार्ज दिया जाता है|
इसी प्रकार बाई ओर के उत्सर्जन आधार N-P जंक्शन तथा दाएं और की आधार P-N जंक्शन कहा जाता है|
जब P प्रकार के अर्धचालक पदार्थ की परत को दो N प्रकार के अर्धचालक पदार्थ की परतों के बीच में जोड़ा जाता है तो हमें N-P-N ट्रांजिस्टर प्राप्त होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन Collector से Emitter की ओर बहते है ।

ट्रांजिस्टर के भाग – Parts of Transistor


एक transistor, semiconductor materials की तीन layers से मिलकर बना होता है| यह किसी भी circuit से जुड़ा हुआ होता है यह current flow में help करता है|
जब ट्रांजिस्टर के किसी दो पॉइंट पर वोल्टेज या करंट दिया जाता है तो उस time अन्य तीसरा पॉइंट जंक्शन का use करके current को controls करता है| इसीलिए हर ट्रांजिस्टर में तीन टर्मिनल्स होते है|

transistor



चालक क्या है? (What is Conductor )

वे पदार्थ जिसके परमाणु में MOMENT करने के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं इलेक्ट्रिसिटी के कंडक्टर कहलाते है। सभी प्रकार की धातुएं विद्युत की सुचालक होती है| चांदी और कॉपर अच्छा सुचालक माना जाता है।


कुचालक क्या है? (What is Dielectric)

कुचालक वे पदार्थ होते हैं जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या नही के बराबर होती है। उदाहरण लकड़ी, रबड़, प्लास्टिक आदि है।


अर्धचालक क्या है? (What is Semiconductor)

अर्धचालक वे पदार्थ है जिनमें इलेक्ट्रिसिटी का प्रवाह की कंडीशन कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच का होता है। अर्धचालक को आसानी से सुचालक बनाया जा सकता है। जैसे सिलिकॉन तथा जर्मीनियम है।

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ट्रांजिस्टर के फायदे – Advantages of Transistor

  1. इसकी price कम होती है यह आकर में भी छोटा होता है|
  2. यह एक sensitivity वाला device होता है|
  3. इसे बहुत कम voltage की आवश्यकता होती है|
  4. transistor की life काफी लम्बी होती है यह जल्दी से खराब नहीं होते है|
  5. जल्दी से switch हो सकते है|

ट्रांजिस्टर के नुक्सान – Disadvantages of Transistors


transistor के जहाँ बहुत से फायदे होते है| वही दूसरी तरफ ट्रांजिस्टर की अपनी कुछ ऐसी सीमाए होती है| जिसके बाहर जाकर वह काम नहीं कर सकता है|

Transistor में उच्च electron गतिशील नही है|
यह किसी भी शोर्ट सर्किट या हीटिंग से damage हो सकता है|

ये कॉस्मिक रे और रेडिएशन से प्रभावित हो सकते है|

Transistor का Use कहा होता है? (Application of Transistor)
• Transistor का उपयोग ज्यादातर Inverter के सर्किट में एक फ़ास्ट स्विच की तरह होता है।
• Transistor का उपयोग एम्पलीफायर में Weak Signal Amplify करने के लिए किया जाता है।
• Transistor का उपयोग विभिन्न प्रकार के डिजिटल गेट बनाने के लिए किया जाता है।
• इसके अतिरिक्त ट्रांजिस्टर का उपयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बनाने के लिए किया जाता है।

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RAJESH ALONEY

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