(लेखक श्री राजेश अलोने -इलेक्ट्रिकल इंजिनियर )
परिचय (Introduction to fuse)
ELECTRICITY SUPPLY को सुचारू रूप से चलने और सर्किट को उच्च वोल्टेज से बचाने के लिए हम सर्किट में बहुत से सुरक्षा उपकरण का उपयोग करते है| फ्यूज भी इन्ही उपकरणों में से एक है| इस पोस्ट में जानेंगे की फ्यूज क्या है| फ्यूज कैसे काम करता है
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फ्यूज क्या है?
फ्यूज एक प्रोटेक्टिव सिस्टम होता है। इसे सर्किट में उपकरण के सीरीज क्रम में लगाया जाता है| इसे मेन सप्लाई के फेज वायर में कनेक्ट किया जाता है|
इसमें एक धातु का पतला कम गलनांक वाला तार उपयोग किया जाता है| जब भी सर्किट में ओवरलोड की कंडीशन आती है सर्किट में करंट बढ़ जाता है| जूल के नियमानुसार फ्यूज तार में गर्मी उत्पन्न होती है जिससे यह गल कर टूट जाता है|
फ्यूज का अविष्कार “Thomas Alva Edison” ने सन 1890 में किया था
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फ्यूज एक ऐसा उपकरण है जो किसी भी उपकरण के सीरीज क्रम में लगाया जाता है| इसे उपकरण के करंट लोड के अनुसार लगाया जाता है| ताकि अगर सर्किट में कोई खराबी आ जाये या करंट बढ़ जाये तो उस उपकरण को जलने से बचाया जा सके| किसी कारण से सर्किट में शोर्ट सर्किट हो जाये तो इसका एलिमेंट जलकर टूट जाता है और उपकरण की सप्लाई बंद कर देता है| जिससे उपकरण ख़राब होने से बच जाता है|
फ्यूज की परिभाषा (Definition of fuse)
Fuse एक धातु के तार का कम गलनांक का टुकड़ा है जो circuit के श्रेणी क्रम में लगाया जाता है| जब circuit में एक निश्चित मान से अधिक करंट बहती है तो यह पिघल कर टूट जाता है| और circuit को break कर देता है, fuse कहलाता है।
अथवा
“वह सेफ्टी device जो हाई करंट से उपकरण की रक्षा करने के लिए सर्किट के सीरीज क्रम में लगाया जाता है फ्यूज कहलाता है।”
प्रतिरोध क्या है? || WHAT IS REGISTANCE
फ्यूज कैसे कार्य करता है ?
जैसे कि हमने उपर समझा की फ्यूज को सर्किट में सीरीज क्रम फेज वायर से जोड़ा जाता है|
जब शार्ट सर्किट या ओवरलोड आदि के कारण सर्किट में करंट बढता है तो हीटिंग भी बढती है| जिससे फ्यूज तार जलकर टूट जाता है| और सर्किट में करंट का बहाव रुक जाता है| और उपकरण की हानि नही होती|
फ्यूज तार किस धातु का बना होता है?
फ्यूज को हमेशा सर्किट के फेस वायर से कनेक्ट किया जाता है| फ्यूज वायर का प्रतिरोध कम होना चाहिए| यदि प्रतिरोध ज्यादा होगा तो शोर्ट सर्किट का खतरा बना रहता है|
ज्यादातर फ्यूज वायर के लिए लेड टीन एलाय तार का उपयोग किया जाता है| इस तार में लेड की मात्रा 65% और टिन की मात्रा 37% होती है| इसका गलनांक बहुत कम होता है| जिससे करंट बढ़ने पर यह गल कर टूट जाता है और सप्लाई ब्रेक कर देता है|
फ्यूज के प्रकार
फ्यूज भी कई प्रकार के होते है| लोड के हिसाब से अलग अलग प्रकार के फ्यूज उपयोग किये जाते है| निचे कुछ फ्यूज के प्रकार समझाए गए है|
HRC FUSE
इस फ्यूज का पूरा नाम High Rupturing Capacity Fuse है| इसकी बॉडी ग्लास या फाइबर की बनी होती है| इसमें ओवर लोड को कुछ समय तक संभाल कर रखता है| यदि ओवर लोड या फाल्ट ज्यादा समय तक हो तो यह सप्लाई ब्रेक कर देता है| इसका प्रभाव वातावरण पर नही पड़ता क्योकि इसमें केमिकल पाउडर भरा होता है|
KIT-KAT या REWIREABLE FUSE
इस प्रकार के फ्यूज ज्यादातर चीनी मिट्टी से बने होते है| यह दो भागो में बटा होता है| इसका एक भाग फिक्स होता है जिसे बेस कहते है| दूसरा भाग फिक्स नही होता इसे कैरिएर कहते है| जब सर्किट में ओवरलोड या शोर्ट सर्किट होता है तो कैरिएर भाग में लगा फ्यूज वायर जल जाता है और सर्किट बंद कर देता है| फिर इस फ्यूज वायर को REPLACE करके सप्लाई चालू की जा सकती है|
इसका उपयोग ज्यादातर घरेलु उपयोग में किया जाता है 5 AMPIRE से 15 AMPIRE 250 VOLT तक घरो में किया जाता है|
बड़े उद्योग में 300 AMPIRE 444 VOLT वाले फ्यूज का उपयोग किया जाता है।
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ROUND FUSE
इस प्रकार के फ्यूज आकर में गोल होते है| इसके भी दो पार्ट होते है| पहले पार्ट में दो फिक्स टर्मिनल लगे होते है| इन टर्मिनल पर फ्यूज तार जोड़ा जाता है| बाद में इन टर्मिनल को कवर कर दिया जाता है|
फ्यूज टर्मिनल पर फेज उपलब्ध रहता है इसलिए इसका फ्यूज तार बदलने में करंट का झटका लगने का खतरा रहता है|
कारट्रीज फ्यूज
यह फ्यूज पूरी तरह बंद रहता है| इसके अन्दर केमिकल पाउडर भरा जाता है| क्लोज बॉडी के कारण इस पर वातावरण का ज्यादा प्रभाव नही पड़ता| इसलिए इसका FUSING CURRENT CONSTANT होता है| इसकी बॉडी इंसुलेटेड मटेरियल की बनी होती है| इसका आकर ट्यूब के आकर का होता है| इसके एक सिरे पर मेटल के टर्मिनल लगाये जाते है| इस टर्मिनल पर फ्यूज तार जोड़ा जाता है|
फ्यूजिंग फैक्टर (Fusing Factor) क्या है ?
“ किसी भी fuse element के लिये न्यूनतम करंट तथा फ्यूज की निर्धारित कैपेसिटी के अनुपात को fuse factor कहते हैं।
FUSING FACTOR = न्यूनतम फ्युसिंग करंट / फ्यूज की करंट कैपेसिटी
इसका मान हमेशा एक से ज्यादा होता है।”
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