लेखक श्री राजेश अलोने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
CT SCAN की जगह पर CORONA के मरीज का HRCT किया जाता है| यह क्या चीज है? REMDESIVIR किस तरह कोरोना मरीज को बचाती है? BLACK FUNGUS कैसे होता है? इस पोस्टर में आज यह जानेंगे|
Covod 19 virus body में entry करता है तो उसके ऊपर लगे स्पाइक प्रोटीन की मदद से entry करता है| यह spike protein Lungs की cells में लगे Recepter से entry करता है| यह रिसेप्टर उसी को entry देता है जो इसमें फिट बैठ जाता है| और कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन इस इस रिसेप्टर में फिट बैठ जाता है| इसीलिए Lungs की कोशिकाओं में यह आसानी से entry कर जाता है|
Corona vaccin जब हमारे शरीर में जाती है तो यह corona virus के स्पाइक प्रोटीन को लॉक कर देती है| जिससे यह कोशिकाओं के रिसेप्टर में एंट्री नहीं कर पाता|
Sanitizer
सैनिटाइजर भी बहुत खतरनाक चीज है| यह Corona virus के outer layer को destroy कर देता है| मतलब इसके spike protein को खत्म कर देता है| उसे टकला कर देता है| यह दोनों बाहर की चीजें है| यह हमें corona होने से बचाता है, लेकिन जब हमें corona virus infection हो जाता है तब रेमडेसीविर काम आती है|
REMDESIVIR WORK
जब CORONA VIRUS, LUNGD के रिसेप्टर से फेफड़े में चला जाता है| और इन्फेक्शन फैला देता है| जब यह अंदर ENTRY करता है तो वह जाते ही सबसे पहले RIBOSOME की मदद से अपनी बहुत सारी COPY बना लेता है| और बहुत जल्दी ही यह अपनी संख्या लाखों में कर लेता है| और पूरा फेफड़ा भर जाता है| जिससे हम सांस नहीं ले पाते | कोरोना वायरस राइबोसोम की मदद से ही अपनी संख्या को बढ़ाता है| बॉडी में जब इसकी संख्या ज्यादा बढ़ने लगती है तब patient, mild STAGE से average और serious condition मैं पहुंचता है| जब वह माइल्ड को क्रॉस करके सीवियर पोजीशन में पहुंचता है उस कंडीशन में रेमडेसीविर काम करती है|
रेमडेसीविर कैसे काम करती है? (HOW TO WORK REMDESIVIR)
CORONA VIRUS का जो बाहर का स्पाइक प्रोटीन है वह सिर्फ शरीर में घुसने के लिए मदद करता है| लेकिन मुख्य इंसान की जान लेने का काम करता है या जो बीमारी फैलाने का काम करता है वह इसके अंदर अंदर का RNA होता है| RNA का पूरा नाम Ribonucleic acid होता है | CORONA VIRUS के अंदर जो RNA होता है उसमें GENETIC MATERIAL होता है। यह सिंगल स्टैंडर्ड होता है| यह एक ही फेरा होता है| इसके मोटे वाले भाग को शुगर फास्फेट कहा जाता है| और यह SINGLE HELIX होता है| इसमें चार चार प्रकार के न्यूक्लियोसाइड पाए जाते हैं इन्हें URECIL (U) , GUANINE (G), CYTOSINE (C), ADENINE (A) कहते हैं|
वैज्ञानिकों ने दिमाग लगाया कि हमारे पास दो रास्ते है या तो हम इस RNA के BASE को ख़तम दे, या तो इसके शुगर फास्टपेड को तोड़ दे| लेकिन शुगर फास्फेट को तोड़ना बहुत मुश्किल है और इसके न्यूक्लियोसाइड को भी उखाड़ना बहुत मुश्किल है| तो वैज्ञानिकों ने दिमाग लगाया की इन न्यूक्लियोसाइड में कोई डुप्लीकेट पदार्थ डाल दिया जाए| जिससे कोरोना वायरस कंफ्यूज हो जाएगा और वह काम नहीं कर पाएगा।
यही काम किया गया यहां पर इसके न्यूक्लियोसाइड URECIL (U) , GUANINE (G), CYTOSINE (C), ADENINE (A) इनमें से किसी एक का हमशक्ल बनाकर बॉडी में डाल देंगे, जिससे कोरोना कंफ्यूज हो जाएगा और वह original की जगह duplicate से कनेक्ट हो जाएगा| यही काम किया गया यहां पर|
REMDESIVIR में यही काम किया गया इस पूरे RNA में से सिर्फ ADENINE (A) को चुना गया क्योंकि इसका हमशक्ल बनाना आसान है| यह बहुत जल्दी से जाकर चिपक जाता है यही काम किया गया REMDESIVIR में|

पूरे RNA में ADENINE (A) को लिया गया| रेमडेसीविर एक प्रकार का Pro drug है | मतलब यह बोतल में रहेगा तो काम नहीं करेगा| जब बॉडी में जाएगा तभी काम करेगा| जैसे ही इसे बॉडी में डाला जाता है, यह ADENINE (A) का हमशक्ल (कॉपी) बनाता है| जिसका नाम GS-441524 होता है| और यह बिलकुल वैसे ही दिखता है जैसे कोरोना वायरस का ADENINE होता है| और वह जाकर RNA में जुड़ जाता है| अब इसमें होता यह है कि जहां ओरिजिनल ADENINE (A) लगना था वहां यह रेमडेसीविर का डुप्लीकेट हमशकल ADENINE जाकर चिपक जाता है और जब कोरोना वायरस CELL में जाता है तो उसे पता ही नहीं चलता है की उसने ओरिजिनल की जगह पर डुप्लीकेट को ले लिया है| और वह काम करना बंद कर देता है| इस तरह यह दवा काम करती है| इसी तरह इस दवा ने बहुत से लोगों की जान बचाई है|
लेकिन कोरोना वायरस बहुत होशियार है| इसमें ऐसा सिस्टम है जिससे यह पता कर लेता है कि वह अपने साथ नकली ADENINE (A) को लाया है| इस SYSTEM को 3′→5′ exoribonuclease कहते है और यह 3′→5′ exoribonuclease इस नकली ADENINE (A) को हटाने लगता है| और ओरिजिनल ADENINE लगाता है| इसीलिए हमारे मेडिकल स्टाफ के डॉक्टर हमें सुबह शाम दोपहर या 1 दिन में 5 से 6 डोज रेमडेसीविर के देता है| जब REMDESIVIR के ज्यादा DOSE हो जाते हैं तो यह नकली ADENINE (A) पूरा भर जाता है तो इसकी मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है तब CORONA VIRUS को लगता है कि यही असली ADENINE (A) होगा| और उससे कनेक्ट हो जाएगा, जिससे CORONA वायरस काम करना बंद कर देगा और यह अपनी संख्या को बढ़ाना कम कर देगा| जिससे इंफेक्शन कम होगा|
जब रफ्तार कम हो जाएगी तो बाकी का काम हमारी बॉडी की इम्युनिटी करती है। यहां समस्या यह होती थी की हमारी बॉडी की इम्युनिटी 10 को मारती थी और 100 पैदा हो जाते थे लेकिन रेमडेसीविर से इसके बढ़ने की रफ्तार को कम कर दिया और इम्यूनिटी अब सभी को मारने लगती है|REMDESIVIR एक ANTIVIRAL DRUG है| दुनिया की कोई भी एंटीवायरल ड्रग किसी भी वायरस को मारती नहीं है| उसे चकमा देकर उसमें डुप्लीकेट मटेरियल डाल देती है।
रेमडेसीविर के कुछ NAGETIVE EFFECT भी होते हैं| इसमें हमारे RBC की VALLUE कम हो जाती है जिससे पेशेंट कमजोर होने लगता है, क्योंकि RBC कम होगी तो हिमोग्लोबिन भी कम होगा|
इस दवा को GILEAD नाम की अमेरिकन कंपनी ने बनाया था| इसे इबोला वायरस के लिए बनाया था, लेकिन बाद में पाया गया कि यह कोरोना वायरस के लिए भी काम करती है|
भारत की दो कंपनियों को इसने यह दवा बनाने का लाइसेंस दिया हुआ है| भारत में जो भी रेमडेसीविर बनेगी उनमें से एक HETERO कंपनी ने बनाई है और इसके दवा का नाम COVIFOR है| इंडिया में ज्यादातर COVIFOR के नाम से ही REMDESIVIR मिलेगी।

एक और कंपनी है जिसका नाम CIPLA है । इसने अपनी दवा का नाम CIPREMI रखा है । इंडिया में सिर्फ यही दो नाम से रेवड़ी शिविर मिलती है |

भारत में इन दवाओं की बहुत ज्यादा कालाबाजारी होने लगी तो इससे बचने के लिए यह पाउडर फॉर्म में आने लगी, जिसे डॉक्टर इसको लिक्विड करके बॉडी में डालता है|
कोरोना वायरस जानलेवा तब हो जाता हैं जब इसके साथ-साथ उसमें बैक्टीरिया का भी अटैक हो जाता है| और यह निमोनिया का रूप ले लेता है| जब कोई व्यक्ति COVID 19 से भी लड़ रहा है, साथ ही साथ निमोनिया से भी लड़ने लगता है| जिस वजह से उसकी जान पर बन आती है|
कोरोना वायरस बीमारी में सबसे ज्यादा अगर जान गई है तो वह CYTOKINE STORM की वजह से गई है| यह CYTOKINE STORM एक अच्छी भी चीज है|
इससे पहले हम समझते हैं की INFLAMMATION क्या होता है
INFLAMMATION
जब कभी शरीर में कीटाणुओं का अटैक होता है वायरस या बैक्टीरिया का ATTECK होता है तो हम उसे इन्फेक्शन कहते हैं| लेकिन जब उस वायरस या बैक्टीरिया को मारने के लिए हमारे इम्यून सिस्टम हावी हो जाता है तो इसे INFLAMMATION कहते हैं|
CYTOKINE
हमारे शरीर से मैसेज छोड़ने के लिए CYTOKINE निकलता है
जब हमारा शरीर बीमारी से लड़ रहा होता है तो यह इम्यून सिस्टम वायरस या बैक्टीरिया को मारने का मैसेज पहुंचाता है| यह एक तरह का communication का काम करता है|
लेकिन कभी-कभी क्या होता है कि यह कम्युनिकेशन हमारे लिए घातक हो जाता है| जब कोई ऐसी बीमारी हमारे ऊपर अटैक करती है जिसे हमारे इम्यून सिस्टम पहचानता ही नहीं है| तब बहुत ज्यादा cytokine निकलने लगता है इतने ज्यादा मैसेज आने लगते हैं की आंधी आ जाती है इसी को CYTOKINE STORM कहते हैं । इसी को हाइपर इम्यून रिस्पांस (hyperactive inflammatory response) भी कहते हैं| इतना ज्यादा इम्यून सिस्टम मारकाट करता है कि हमें ही loss होने लगता है| हमारे बॉडी को ही मारकाट करने लगता है फेफड़े किडनी और लीवर को डैमेज कर देता है|
आज तक न्यूज़ चैनल के पत्रकार रोहित सरदाना जी की मृत्यु भी CYTOKINE STORM से ही हुई थी| इन्हें कोई अटैक नहीं आया था | बॉडी में इतनी ज्यादा मारकाट हो गई थी कि उनका heart damage हो गया था|
जब किसी इंसान को पहला लक्षण आता है| जब उसे लगने लगता है कि उसे कोरोना है तो उस पहले लक्षण से छठवें दिन तक यह CYTOKINE STORM आने का खतरा रहता है| इस बीच अगर डॉक्टर हमारे इम्यून सिस्टम को शांत कर दे तो हमारे फेफड़ों को केवल कोरोना वायरस की वजह से ही नुकसान होगा| और अगर इस storm या इस आंधी को नहीं रोका गया तो हमारे फेफड़े को covid 19 तो मार ही रहा है साथ ही हमारी खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता या immune system भी फेफड़े को मार काट देगा| और पूरा फेफड़ा भर जाता है जिससे हमें सांस लेने में तकलीफ होती है|
हमारी इसी लड़ने की क्षमता को कम करने के लिए डॉक्टर हमें एक दवाई देता है| इसे steroid कहते हैं| steroid हमें dexamethasone के रूप में दी जाती है|
Black Fungus
जब हमें dexamethasone देकर इम्यून सिस्टम को शांत कर दिया है| तब इसी से चालू होता है ब्लैक फंगस का खतरा

Black fungus एक normal fungus है जो नमी वाले स्थानों पर या रोटी/ ब्रेड या गीले कपड़ों पर आसानी से लग जाता है|
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