वैज्ञानिकों ने यह बात साबित कर दी है की पूरी दुनिया के कोरोना वायरस को एक जगह इकट्ठा किया जाए तो यह एक टी स्पून में आ जाएंगे| इस पोस्ट में आज हम यह समझेंगे की एक चम्मच भर कोरोना वायरस जिसने लाखों लोगों की जान ली, अरबों रुपए का ECONOMIC LOSS हुआ, और करोड़ों लोग संक्रमित हुए, जिसे तबाही मचाने से कोई नहीं रोक पाया, उसे एक VACCIN कैसे रोक सकती है और यह कहा मिलेगी?
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इस पोस्ट के जरिए HUMAN BODY CELL के अंदर चलेंगे और देखेंगे की वैक्सीन ऐसा क्या करती है कि वह कोरोना वायरस को मार सकती|
VACCIN कैसे काम करती है यह समझने से पहले हमें यह समझना जरूरी है की वैक्सीन की जरूरत क्यों पड़ी| कोरोना वायरस हमारी सेल का उपयोग करके अपनी करोडो बना लेता और इंसान को मार देता है|
कोरोना क्या करता है बॉडी में
एक बार कोरोना वायरस बॉडी के अंदर चला गया फिर उसका एक ही मकसद रह जाता है कि कैसे भी करके इस ह्यूमन बॉडी सेल के अंदर घुस सके। प्रॉब्लम यह है कि कोरोना वायरस डायरेक्ट सेल के अंदर एंटर नहीं कर सकता| कोरोना वायरस सेल के अंदर ace 2 Recepter के द्वारा ही जा सकता है लगभग 1.5 साल से वैज्ञानिक इस काम में लगे हैं की कैसे भी करके इस कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन को ह्यूमन बॉडी सेल के ace2 रिसेप्टर से कनेक्ट होने से रोकना है। और इसका सिर्फ एक ही तरीका है कि कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को ब्लॉक कर दिया जाए| और स्पाइक प्रोटीन को ब्लॉक करने का सिर्फ एक ही तरीका है की इनके ऊपर एंटीबॉडी चिपका दिया जाए|
एंटीबॉडी हमारा IMMUNE SYSTEM पैदा करता है| सारा खेल इस एंटीबॉडी के जनरेट होने का है| जिसकी बॉडी में सही समय पर, और सही मात्रा में यह एंटीबॉडी जनरेट हो जाते हैं उसका कोरोनावायरस कुछ नहीं कर पाता| वह इसलिए की एक बार एंटीबॉडी जनरेट हो गई तो उसके बाद एंटीबाडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर जाकर कनेक्ट हो जाता है| और कोरोनावायरस आपके बॉडी सेल के अंदर एंटर नहीं हो पाएगा, इससे यह उसकी करोड़ों कॉपी बनाकर बॉडी में इंफेक्शन नहीं कर पाएगा|
जिन लोगों में यह सही से जनरेट नहीं हो पाता उसकी कोविड-19 महामारी से मौत हो जाती है| अगर साफ साफ शब्दों में कहें तो हमें यह समझना है कि एंटीबॉडी कैसे बनती है अगर आपको यह समझ आ गया ANTOBODY कैसे बनती है तो यह भी समझ आ जाएगा की VACCINE कैसे काम करती है| SCINTIST CORONA VIRUS को इस रूप में देखते हैं|

CORONA शब्द का अर्थ होता है crown यानी कि ताज और वायरस का मतलब होता है वेनम यानी जहर|
जैसे क्राउन के ऊपर स्पाइक होते हैं वैसे ही इस कोरोना वायरस के ऊपर भी स्पाई होते हैं| और क्योंकि यह जहर की तरह शरीर में फैलता है इसीलिए इसे कोरोना वायरस कहा जाता है|
मुद्दे की बात यह है कि इस कोरोना वायरस के अंदर जेनेटिक मटेरियल होता है। इस जेनेटिक मैटेरियल के अलावा इस कोरोना वायरस में IMPORTANT कुछ भी नहीं है, इस जेनेटिक मैटेरियल के अंदर ही कोरोना वायरस की करोड़ों कॉपियां बनाने की INSTRUCTIONS होती है 31 दिसंबर 2019 को चाइनीस SCIENTIST को यह पता चला कि कोरोना वायरस नाम की बीमारी फैल रही है, फिर अगले 11 दिनों में इस कोरोना वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को सेपरेट किया और इसकी STUDY की| इसी दौरान 11 जनवरी 2020 को साइंटिस्ट ने वह काम किया जिसकी वजह से CORONA वायरस की वर्ल्ड की फास्टेस्ट वैक्सीन रेडी होकर तैयार हुई, वरना चार-पांच साल पहले इस वैक्सीन का बनना असंभव था|
उन्होंने किया यह की इस जेनेटिक कोड की स्टडी कर के इसका GENETIC COE वेबसाइट पर अपलोड कर दिया और उसे पब्लिक में AVAILABLE करवा दिया| इससे फायदा यह हुआ पूरे वर्ल्ड में कोई भी कहीं भी इस जेनेटिक कोड को डाउनलोड करके USE कर सकता है| यह खबर जैसे ही बड़ी-बड़ी फार्म कंपनियों को लगी तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और वह लोग जो खुद के प्रोडक्ट का काम कर रहे थे उसे छोड़कर COVID की वैक्सीन बनाने की रेस में शामिल हो गए| इन्होंने इस कोड को डाउनलोड करके ऐसी लेबोरेटरी में गए जो इसका mRNA बना कर दे दे|
mRNA इस पोस्ट का IMPORTANT शब्द है| शरीर में कौन से समय में कौन सी प्रोटीन बनना चाहिए इसके लिए एमआरएनए ही जिम्मेदार होता है| और कोरोना वैक्सीन का एकमात्र आधार है एमआरएनए ही DECIDE करता है कि शरीर में कौन सा प्रोटीन कब बनना चाहिए|

जैसे ही VACCIN के रूप में एमआरएनए बॉडी के अंदर जाएगा तो बॉडी के अंदर का राइबोसोम इस एमआरएन के कोड को पढ़ना शुरू कर देगा और उस कोड के हिसाब से एमिनो एसिड की चेन बनाना शुरु कर देगा यह CHAIN अब कंप्लीट हो जाती है तो यह स्पाइक प्रोटीन का SHAPE ले लेती है क्योंकि साइंटिस्ट ने इसे CORONA VIRUS के स्पाइक प्रोटीन पर CONNECT करने के लिए ही तो बनाया था|
वैक्सीन बनाने की रेस में जो कंपनियां सबसे आगे है उनमें से एक है मॉडर्ना और दूसरी है फाइजर बायोटेक| इन दोनों के द्वारा बनाई गई वैक्सीन तो mRNA वैक्सीन ही है यानी कि इनका WORKING MACHANISM वैसा ही है जैसा ऊपर समझाया है लेकिन जो इंडिया में वैक्सीन बनी यानी कि कोवैक्सीन उसके WORKING MACHANISM में थोड़ा सा बदलाव है| इन लोगों ने एमआरएनए की जगह CORONA VIRUS को ही मार के, याने उसे INACTIVE करके इंसान के शरीर में डाल दिया इससे होगा यह कि कोरोनावायरस अभी INACTIVE है तो यह बॉडी में इंफेक्शन भी नहीं फैल आएगा और इस पर स्पाइक प्रोटीन भी लगे हैं तो यह इम्यून सिस्टम को ट्रेनिंग भी दे देगा।
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