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इस पोस्ट में आज हम यह जानेंगे एक बार कोरोना वायरस शरीर में ENTER कर गया तो यह इंसान को कैसे मारता है? यानि की how coronavirus kills?
हमें दिखाई दे या ना दे लेकिन जब हम खाँसते हैं तब हमारे मुंह और नाक से करीबन 3000 लार की DROPLET निकलती है और जब हम छिकते है तब SOMETHING 40,000 बूंदे निकलती है| अब चौंकाने वाली बात यह है की इस लार की एक बूंद में करीबन 20 लाख कोरोनावायरस होते हैं| और जब यह बूंदे निकलती है तो गरीब 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 1 से 2 मीटर तक दूर तक जा सकती है इसीलिए आपको बार बार बोला जाता है की 1 से 2 मीटर का DISTANCE बनाकर रखें|
पर सवाल यह है कि क्या कोरोना वायरस हवा में उड़ सकता है?
इसके दो जवाब है —-पहला जवाब है – हां | CORONA VIRUS हवा में उड़ सकता है लेकिन एक स्पेशल केस में ही तैर सकता | है वह ऐसे की हमें दिखाई दे या ना दे लेकिन हमारे चारों ओर धूल के कण मौजूद रहते हैं जब कोरोना वायरस से INFECTED इंसान छीकेगा तो उसके अंदर से जो लार की बूंदे निकलेगी वह इन धूल के कणों पर बैठ जाएगी और इन बूंदों पर 3 से 4 घंटे तक रह सकती है| जैसे ही कोई इंसान इस जगह से गुजरेगा तो पूरे पूरे chances है कि वह infected हो जाए|
क्या CORONA VIRUS हवा में तैरता है?
इस सवाल इस सवाल का दूसरा जवाब है नहीं|
कोरोना वायरस हवा में नहीं तैर सकता क्योंकि वैज्ञानिकों को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है की कोरोना वायरस एक इंसान से निकल कर हवा में उड़ कर आसपास के जगह पर फैल जाए| कोरोना वायरस सिर्फ लार की बूंदों के साथ ही फैलता है | इनफेक्टेड इंसान से निकली हुई है लार की जो बूंदे धूल के कणों पर नहीं बैठ पाती वह आसपास के SURFACE से चिपक जाती है| यह कांच की सतह पर 96 घंटे जिंदा रह सकता है प्लास्टिक और स्टील पर 72 घंटे तक जिंदा रह सकता है| अब जैसे कोई NON INFECTED इंसान इन जगह को छूता है और नाक मुंह या आंख को हाथ लगाता है तो कोरोना वायरस उसकी बॉडी में ENTER कर जाएगा |
यह समझने के लिए कि कोरोना वायरस हमारे शरीर को INFECT कैसे करता है? पहले हमें यह समझना होगा की LUNGS हमें सांस लेने में HELP कैसे करते हैं|
हर इंसान के पास दो lungs होते हैं इसके ऊपरी भाग को WIND PIPE कहा जाता है यानी कि सांस लेने की नली | हमारे फेफड़े तक पहुंचते-पहुंचते यह नली दो भागों में DEVIDE हो जाती है | इन हिस्सों को bronchi कहते हैं यह bronchi आगे चलकर कुछ छोटे-छोटे BRANCHES में बट जाती है इसे bronchioles कहते हैं अब जैसे ही हम सांस लेते हैं ऑक्सीजन विंड पाइप से होती हुई फिर इन दो bronchioles से होती हुई इन अनेकों BRANCHES में पहुंच जाती है| इसके बाद असली खेल शुरू होता है इन bronchioles के END में alveoli लगी होती है| यही वह जगह है जहां हमारे BODY में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड EXCHANGE होती है आइए देखते हैं कैसे।

जो ऑक्सीजन brochioles में पहुंची थी वह आगे बढ़कर alveoli में प्रवेश करती है | अपने दोनों लंच में लगभग 60 करोड़ alveoli होती है | और यह बहुत ज्यादा FLEXIBLE होती है जब हम सांस लेते हैं तब यह INFLETE यानी फूल जाती है और जब सांस छोड़ते हैं तो यह DEFLATE हो जाती है यानी सिकुड़ जाती है|

यह alveoli पूरी तरह से कैपिलरी से बनी होती है | यह वही कैपिलरी होती है जिनमें से हमारा खून बहता है | इस alveoli की दीवार इतनी पतली होती है कि इसमें से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड आर पार CROSS कर सकती है|

अब बॉडी में जितनी भी कार्बन डाइऑक्साइड थी वह कैपिलरी से alveoli में आई और साँस छोड़ते समय बाहर निकल गई और alveoli में जो ऑक्सीजन जो हमने सास ली थी वह कैपिलरी के द्वारा heart में चली जाती है और फिर बाकी के शरीर में |
हमारा पूरा शरीर cell से ही बना होता है lungs, stomach सबकुछ cell से ही बना होता है अगर बहुत ज्यादा zoom करके देखा जाए तो सेल चित्र में दिखाएं अनुसार दिखेगा |

यह हमारे शरीर की सबसे छोटी यूनिट होती है | हमारा शरीर ऐसे ही 37.2 करोड़ cell से मिलकर बना है इसमें बाहर की तरह एक CELL MEMBRANE होती है| सारा खेल इस CELL MEMBRANE में घुसने का है | अगर कोरोना वायरस इस सेल मेंब्रेन में घुस गया तो वह अपनी करोड़ों कॉपी बना लेगा और इंसान को INFECTED कर देगा |
ध्यान देने योग्य बात यह है की CORONA VIRUS CELL में घुसता कैसे है |
MAXIMUM CASES में यह कोरोना वायरस LUNGS की BAUNDARY वाली सेल पर ही अटैक करता है, ऐसा क्यों ? हाथ के सेल में नहीं पैर की सेल में दिमाग की सेल में नहीं है LUNGS की BOUNDARY वाले सेल में ही क्यों ?
क्योंकि LUNGS की BOUNDARY वाली सेल में में ACE 2 RECEPTOR पाया जाता है जैसे कि CORONA VIRUS के ऊपर कांटे लगे होते हैं, वैसे ही LUNGS की बाउंड्री वाले सेल पर कांटे लगे होते हैं CORONA VIRUS के ऊपर लगे काँटों को स्पाइक प्रोटीन (spike protein) कहा जाता है और LUNGS की बाउंड्री वाली सेल पर लगे कांटों को ace 2 receptor कहा जाता है |
इसे आप ऐसे समझ सकते हो की कोरोना वायरस के ऊपर लगे काटे या प्रोटीन चाबी है तो LUNGS के बाउंड्री वाली सेल पर लगे प्रोटीन ताला है | यही कारण है कि यह सिर्फ फेफड़े की बाउंड्री वाली सेल पर ही अटैक करता है| हाथ पैर या दिमाग की सेल्स में ACE 2 RECEPTOR नहीं पाया जाता है इसकी चाबी का जो सही ताला है वह LUNGS की सेल पर ही है | ध्यान में रखने वाली बात यह है इस सेल के अंदर सभी चीजें एंटर नहीं कर सकती बल्कि कुछ चीजें कर सकती है |
अब जैसी ही LUNGS की सेल पर यह कोरोना वायरस जाकर lock हो जाता है तब cell को ऐसा लगता है कि यह कोई उपयोगी चीज है और सेल उसको ENTERY ALOW कर देता है बस यही से तबाही शुरू हो जाती है | अब कोरोना वायरस अपना RNA सेल के अंदर TRANSFER कर देगा और पूरे सेल को HIGHJECK कर लेगा | आसान भाषा में अगर समझे तो कोरोना वायरस उस सेल को बोलेगा कि तू जो काम कर रहा था उसे छोड़ और मैं जो बोल रहा हूं उसे कर | मेरी कॉपी बना, यह जो कोरोना वायरस है इसके जेनेटिक कोड में कॉफी बनाने की INSTRUCTION होती है और कुछ ही दिनों में हमारा यह सेल CORONA VIRUS की लाखों-करोड़ों कॉपियां बना देता है |
जैसे ही यह सेल लाखों-करोड़ों COPY बना देगा तो हमारे बॉडी का IMMUNE SYSTEM ACTIVE हो जाएगा और वह इन सभी कोरोनावायरस को मारने में लग जाएगा | इसमें बुखार भी इसलिए आता है क्योंकि हमारा IMMUNE SYSTEM, CORONA VURUS से लड़ रहा होता है। जो YOUNG लोग कोरोना वायरस को RECOVER कर रहे हैं उसके पीछे की SCIENCE को समझते हैं | जब कोरोना वायरस और IMMUNE SYSTEM की लड़ाई हो रही होती है उस समय हमारा ADVANCE IMMUNE SYUSTEM ACTIVE हो जाता है | इसे adaptive immune system भी कहते हैं | वह फटाफट ANTIBODY RELEASE करना शुरू कर देता है |
यह एंटीबॉडी CORONA VIRUS के प्रोटीन पर जाकर CONNECT हो जाता है| अब कोरोनावायरस फँस गया, क्योंकि हमारे IMMUNE SYSTEM ने उसकी चाबियों में गलत ताला फिट कर दिया | इससे यह वायरस CELL के ACE 2 RECEPTOR पर कनेक्ट नहीं हो पाएगा और सेल के अंदर एंटर करके अपनी और कॉपियां नहीं बना पाएगा | लेकिन यह सब ठीक है, लेकिन पहले जो कॉपिया बन चुकी है इनका क्या होगा? इनका यह होगा कि जैसे ही इन पर एंटीबॉडी कनेक्ट होगी तो हमारे मैक्रोफेजेस (macrophages) एक्टिवेट हो जाएंगे यह एक प्रकार के WHITE BLOOD CELLS है जो हमारे इम्यूनिटी सिस्टम का पार्ट है | मैक्रोफेजेस वहां वहां जाएंगे जहां जहां एंटीबॉडीज फैले हैं और एंटीबॉडीज के साथ कोरोना वायरस को भी INSERT कर लेंगे | खास बात यह है यह एंटीबॉडी सिर्फ एक कोरोना वायरस को नहीं बल्कि एक से ज्यादा करोना वायरस को भी कनेक्ट हो सकती है |
अब आपके मन में एक सवाल होगा की हमारा adaptive immune system ऐसी एंटीबॉडी बनाकर CORONA VIRUS की चाबी के ऊपर कनेक्ट कर सकता है तो उसने एकदम शुरुआत में पहले वाले कोरोनावायरस पर ही क्यों कनेक्ट नहीं किया
वह इसलिए क्योंकि इन एंटीबॉडी को बनने में टाइम लगता है, जो हमारा एडवांस इम्यूनिटी सिस्टम है वह पहले कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को समझता है उसके बाद उसी हिसाब से एंटीबॉडी बनाता है |
अगर आपने इस सिस्टम को ध्यान से समझा होगा तो बधाई हो आपको वैक्सीन का मेकैनिज्म भी समझ में आ गया होगा | अगर अभी भी नहीं समझ आया होगा तो आसान भाषा में समझते हैं| यह सारा खेल कोरोना वायरस की चाबी याने स्पाइक प्रोटीन पर गलत ताला यानी एंटीबॉडी कनेक्ट करने का है| अब होगा यह कि जैसे ही VACCINE बॉडी में डाली जाएगी वह ADVANCE IMMUNE SYSTEM को कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन का जेनेटिक कोड दे देगी |
आसान भाषा में समझे तो वही IMMUNE SYSTEM को बता देगी की भविष्य में इस प्रकार का वायरस ATTACK कर सकता है, उसके लिए इस प्रकार की इस प्रकार की एंटीबॉडी बनती है वह तैयार रखना | अब जैसे ही CORONA VIRUS बॉडी में ENTER करेगा इससे पहले कि वह सेल में घुसकर अपनी कॉपी बनाएं इम्यूनिटी सिस्टम तुरंत अपनी एंटीबॉडी रिलीज करना शुरू कर देगा जो इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर जाकर कनेक्ट हो जाएगा |

हमारी लार लगभग पानी से ही बनी होती है, कोरोना वायरस अगर पानी से मरता होता तो वह लार में ही मर जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है सिर्फ पानी से हाथ धो लेने से यह वायरस नहीं मरता | सैनिटाइजर इसकी OUTER LAYER लेयर को destroyed कर देता है |

इसलिए हाथो में SENETIZER लगाने की सलाह दी जाती है |
कोरोना महामारी में लोगों द्वारा की जाने वाली गलतियाँ :-
- एक दिन बुखार महसूस हुआ-
वायरल है यार, कोविड-वोविड कुछ नहीं, एक पैरासिटामोल ले लेता हूं।
2.बुखार के दूसरे दिन-
मेडिकल स्टोर से एंटिबायोटिक्स ले लेता हूं, करोना टेस्ट की जरूरत नहीं है, जबरदस्ती पाज़ीटिव बता देंगे।
3.बुखार के तीसरे दिन-
बुखार नहीं उतर रहा तो सीटी स्कैन करा लेता हूं, आरटी- पीसीआर की रिपोर्ट तो चार दिन बाद आएगी ( सीटी का स्कोर पहले दो तीन दिन में 3-4 ही रहता है तो निश्चिंत हो गया कि मैं स्वस्थ हूं)
- बुखार के चौथे दिन-
आज भी बुखार है, चलो ब्लड टेस्ट करा लेता हूं ( ब्लड टेस्ट में क्रास रिएक्शन की वजह से फाल्स टायफाइड पाज़िटिव दिखता है ये इसे नहीं मालूम) ओ तेरी…, ये तो टायफाइड हो गया है।
5.बुखार के पांचवें दिन-
अब टायफाइड का पता चल ही गया है तो मेडिकल स्टोर से एंटिबायोटिक्स ले लेता हूं, जबरन डाक्टर दो-चार सौ ले लेगा।
6.बुखार के छठवें दिन-
एंटिबायोटिक्स चल रही हैं, पर कमजोरी बहुत लग रही है।
7.बुखार के सातवें दिन-
डाक्टर मित्र को फोन करके पूछा तो उसने कहा आरटीपीसीआर करवाओ, वहां पहुंचे तो बड़ी भीड़ थी बड़ी मुश्किल से टेस्ट हुआ, अब रिपोर्ट तीन दिन में आएगी।
8.बुखार के आठवें दिन-
अब तो उठने बैठने में सांस फूलने लगी, आक्सीजन लेवल चैक करवाया तो 85 निकला डाक्टर ने फौरन भर्ती हो कर आक्सीजन लगवाने को कहा, अब ना कहीं बेड मिल पा रहा और ना आक्सीजन ( सरकार को गरियाना शुरू, साला कोई व्यवस्था नहीं, कोई सुनवाई नहीं)
जैसे तैसे बेड और आक्सीजन की व्यवस्था हुई
भाईयो, बुखार आते ही क्वालिफाइड डाक्टर से मिलें, उटपटांग सलाह और मनमर्जी से निर्णय नहीं लें, और जांच जरूर करवाएं। पहले दिन तबियत खराब होते से ही सचेत हो जाए और स्थिति बिगड़ने से पहले ही कोविड का इलाज प्रारंभ कर दें, यह भी देखने मे आ रहा है कि कई लोग सिर्फ़ टेस्ट या इलाज शुरू नही कर रहे है कि पड़ोसी या रिश्तेदारों को पता चल जायेगा, पर ये नही समझ रहे है कि इससे ज्यादा उनकी जान जरूरी है
5-6 दिन तक इलाज शुरू नही होने की वजह से लोगों की जान पर बन आ रही हैं
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