लेखक श्री राजेश अलोने
INDUCTION MOTOR में घूमने वाला MEGNETIC FIELD पैदा करने के लिए कम से कम दो phase की आवश्यकता होती है ऐसे स्वभाव वाले MEGNETIC FIELD के कारण ही मोटर SELF START होती है।
SINGLE PHASE MOTOR का structure THREE PHASE INDUCTION MOTOR के जैसा ही होता है इसमें तीन फेस WINDING के जगह पर SINGLE PHASE WINDING बनाई जाती है जब मोटर को ELECTRIC SOURCE से CONNECT किया जाता है तो STATOR में घूमने वाला मैग्नेटिक फील्ड पैदा नहीं होता लेकिन यह ALTERNET NATURE वाला होता है या फिर से कोई FORCE पैदा नहीं करता और मोटर स्वयं START नहीं होती हां यदि ELECTRIC SOURCE SE करने के पश्चात मोटर के रोटर को हाथ से clockwise or anticlockwise घुमाया जाए तो रोटर उसी DIRECTION में घूमने लगेगा।
इस प्रकार सिंगल फेज मोटर सेल्फ स्टार्ट नहीं होती उससे सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए एक फेस को दो पार्ट में डिवाइड कर दिया जाता है। फेस को दो भागों में डिवाइड करने की दो विधियां होती है
Split phase induction motor
इस प्रकार की MOTOR का ROTOR SQUIREL PHASE प्रकार का होता है स्टेटस पर दो WINDING स्थापित की जाती है इन्हें RUNNING WINDING और STARTING WINDING कहते हैं RUNNING WINDING को मेन वाइंडिंग भी कहते हैं यह दोनों वाइंडिंग एक दूसरे से 90 डिग्री पर लगाई जाती है रनिंग वाइंडिंग को मोटे CONDUCTOR से बनाया जाता है और उसे स्लोट के अधिक गहराई पर लगाया जाता है जिससे कि उसका REGISTANCE कम और INDUCTANCE ज्यादा रहे इससे सीधे ही SINGLE PHASE AC CURRENT से जोड़ दिया जाता है
स्टार्टिंग वाइंडिंग को पतले तार से बनाया जाता है और इसे slot में कम गहराई पर लगाया जाता है जिससे कि उसका प्रतिरोध ज्यादा रहे और इंडक्टेंस कम रहे इससे सीरीज में सेंट्रीफ्यूगल स्विच लगाया जाता है इस से 9 डिग्री के अंतर पर लगाकर ac सर्किट से जोड़ दिया जाता है।
RUNNING WINDING का INDUCTANCE ज्यादा होने के कारण उस में प्रवाहित होने वाली CURRENT आरोपित voltage से लगभग 40 से 50 डिग्री पीछड़ (BACK) जाता है जबकि स्टार्टिंग वाइंडिंग का इंडक्टेंस कम होने के कारण इलेक्ट्रिक करंट voltage से लगभग 10 से 15 डिग्री पिछला हुआ रहता है इस प्रकार सिंगल फेस एसी करंट से 2 फेस का प्रभाव उत्पन्न कर घूमने वाला मैग्नेटिक फील्ड पैदा करता है और मोटर SELLF START हो जाती है ।
इस प्रकार की मोटर का रोटर स्प्लिट फेज इंडक्शन मोटर की तरह SQUIREL PHASE प्रकार का होता है यह दोनों वाइंडिंग एक दूसरे से 90 डिग्री पर लगाई जाती है STARTING WINDING के शीर्ष क्रम में एक CAPACITOR भी लगाया जाता है जिससे मोटर का POWER FACTOR और torch , SPLIT PHASE INDUCTION MOTOR की अपेक्षा ज्यादा हो जाता है CAPACITOR जोड़ने की विधि के आधार पर CAPACITOR इंडक्शन मोटर तीन प्रकार की होती
कैपेसिटर स्टार्ट मोटर
स्थाई के पेट सीटर मोटर
और कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर
कैपेसिटर स्टार्ट मोटर (CAPACITOR START MOTOR)
इसमें RUNNING WINDING को सीधे ही SINGLE PHASE AC CIRCUIT से जोड़ दिया जाता है और STARTING WINDING के SERIES क्रम में 160 से 120 MICRO F का एक CAPACITOR और एक सेंट्रीफ्यूगल स्विच लगाया जाता है। दोनों वाइंडिंग को स्टेटर के SLOT में 90 डिग्री के अंतर पर लगाया जाता है
स्टार्टिंग TIME रनिंग वाइंडिंग में FLLOWहोने वाला CURRENT आरोपित VOLTAGE से लगभग 70 डिग्री BACK जाता है current के पिछड़ने का angle RUNNING WINDING के REGISTANCE and INDUCTANCE पर निर्भर करता है। STARTING WINDING में से FLLOW होने वाला करंट वाइंडिंग के सीरीज क्रम में जुड़े हुए कैपेसिटर के कारण आरोपित VOLTAGE से लगभग 20 डिग्री आगे बढ़ जाता है इस प्रकार रनिंग तथा स्टार्टिंग वाइंडिंग में 90 डिग्री PHASE DIFFERENCE पैदा हो जाता है।
स्थाई कैपेसिटर मोटर या (PERMANENT CAPACITOR MOTOR)
CAPACITOR START तथा PERMANENT CAPACITOR मोटर में अंतर यह होता है कि परमानेंट कैपेसिटर मोटर में CAPACITOR परमानेंट रूप से RUNNING WINDING के serirs में जोड़ दिया जाता है और कोई सेंट्रीफ्यूगल स्विच USE नहीं किया जाता है CAPACITOR का मान कम 2 से 2.5 माइक्रो फैरड रखा जाता है
Capacitor start capacitor run motor
इस मोटर में STARTING WINDING के सीरीज क्रम में दो समांतर कैपेसिटर USE किए जाते हैं। एक CAPACITOR (10 से 20 MF) केवल STARTING के समय कार्य करता है और मोटर द्वारा FULL SPEED का 75% प्राप्त कर लेने पर सेंट्रीफ्यूगल स्विच के off हो जाने से CIRCUIT से बाहर हो जाता है दूसरा CAPACITOR मोटर की FULL SPEED में भी स्टार्टिंग वाइंडिंग के series में जुड़ा हुआ रहता है
इस प्रकार की मोटर स्टार्टिंग में दोनों कैपेसिटेंस के साथ high torch और HIGH POWER FACTOR पर START होती है । रनिंग के समय उच्च मान का CAPACITOR एक सेंट्रीफ्यूगल स्विच के द्वारा सर्किट से बाहर हो जाता है और मोटर LOW VALLUE CAPACITOR के लिए चालू रहती है
Shaded pole motor
इस प्रकार की मोटर का रोटर, squiral फेस प्रकार का होता है स्टेटर का हर pole एक slot के द्वारा दो भागों में डिवाइड होता है इसमें से एक भाग बड़ा होता है दूसरा छोटा । बड़े भाग को salient पोल और छोटे भाग को shaded pole कहते हैं SHADED POLE पर मोटे COPPER के तार कि SHORT CIRCUIT WINDING लगाई जाती है
जब मुख्य स्टेटर वाइंडिंग को SINGLE PHASE AC CURRENT से जोड़ा जाता है तो वह अपना MEGNETIC FIELD स्थापित करती है फैराडे के नियम के अनुसार यह यह मैग्नेटिक FLUX शेडेड पोल वाइंडिंग में e.m.f. पैदा करती है और शेडेड पोल भी स्वयं मैग्नेटिक फ्लक्स पैदा करता है LENGE के नियमानुसार शेडेड पोल का मैग्नेटिक फ्लक्स सेलिएंट पोल द्वारा उत्पन्न मैग्नेटिक फ्लक्स का विरोध करता है दोनों मैग्नेटिक flux की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप मैग्नेटिक एक्सेस एडिट पुल की ओर खिसक जाता है। मैग्नेटिक axis का खिसकना वैसा ही EFFECT पैदा करता है जैसे थ्री फेस AC से जुड़ने पर STATOR करता है। इस प्रकार रोटर घूमने लगती है ROTOR का घूमना selient pole से shaded pole की ओर होता है।
यूनिवर्सल मोटर (UNIVERSAL MOTOR)
UNOVERSAL MOTOR डीसी सीरीज मोटर की जैसी ही बनी होती है AC OR DC किसी भी प्रकार की SUPPLY से चलाया जा सकता है यूनिवर्सल मोटर को AC SERIES मोटर भी कहते हैं डीसी सीरीज मोटर को इसी से चलाने के लिए उसमें सुधार किए जाते हैं जो इस प्रकार है
फील्ड तथा ARMETURE CORE सिलिकॉन स्टील की LAMINETED पत्तियों से बनाई जाती है
ARMETURE WINDING में TURN की संख्या बढ़ाई जाती है जिससे मोटर का TORCH और POWER FACTOR सुधर सके
आर्मेचर वाइंडिंग के सीरीज क्रम में कंपेंसेटिंग वाइंडिंग फील्ड की जाती है इसके use से अर्मेचर रिएक्शन प्रभाव को न्यूट्रलाइज किया जाता है।
Comutator पर हाई रेजिस्टेंस वाले कार्बन ब्रश use किए जाते हैं इससे comutator पर होने वाली sparking को कम किया जाता है।
स्टेटर में इंटरपोल use किए जाते हैं जिन पर इंटरपोल वाइंडिंग लगाकर उन्हें आर्मेचर की सीरीज क्रम में जोड़ा जाता है इससे मोटर का कंप्यूटेशन सुधारा जाता है
Armeture और फील्ड के बीच एयर गैप को कम रखा जाता है
यूनिवर्सल मोटर उसी सिद्धांत पर कार्य करती है जिस पर डीसी मोटर अर्थात स्टेटस और आर्मेचर द्वारा स्थापित मैग्नेटिक फ्लक्स की action के फल स्वरुप armeture में torch पैदा होता है। इस मोटर को चाहे डीसी से चलाया जाए या AC से प्रत्येक कंडीशन में एक ही डायरेक्शन में कार्य करने वाला torCh पैदा होगा।
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