सेकेंडरी सेल secondary cell
जिस सेल में ELECTRIC ENERGY को रासायनिक क्रिया के रूप में COLLECT करके पुनः CHEMICAL REACTION द्वारा emf पैदा किया जाता है वह SECONDARY सेल कहलाते हैं यह सेल निम्न प्रकार के होते हैं
लेड एसिड सेल
निखिल आयरन सेल
और निकेल कैडमियम सेल
dry cell
DENIAL तथा LECHLANCHE CELL का use lab तक ही सीमित है क्योंकि इधर उधर ले जाने में उसकी का LIQUID ELECTROLITE छलकता है फिर एक ऐसे सेल की आवश्यकता अनुभव हुई जिससे कहीं भी लगाया जा सके और उल्टी-सीधी किसी भी condition में USE किया जा सके lechlanche सेल का संशोधित रूप है DRY CELL इसमें जस्ते का एक बेलनाकार पात्र होता है जो CATHOD का कार्य भी करता है पात्र के ठीक मध्य में एक कार्बन की छड़ी स्थापित की जाती है जो ANOD का कार्य करती है इस छड़ी के चारों ओर एक मोटे कपड़े की थैली में मैंगनीज डाइऑक्साइड कार्बन अमोनियम क्लोराइड तथा जिंक क्लोराइड का mixer को मिलाकर भरा जाता है यह मिश्रण विधुवक का कार्य करता है इस थैली के चारों ओर अमोनियम क्लोराइड जिंक क्लोराइड तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस की पेस्ट भरी जाती है जो इलेक्ट्रोलाइट का कार्य करती है सेल के उपर से भली प्रकार बंद किया जाता है
Lead acid cell
लेड एसिड सेल हार्ड rubber के पात्र में बनाया जाता है इसमें + तथा – प्लेटो के दो समूहों होते हैं POSITIVE प्लेटो की संख्या NEGETIVE प्लेटो की संख्या से एक कम होती है । प्लेटो की कुल संख्या 11 13 17 23 25 आदी होती है प्रत्येक धन प्लेट दोनों ओर से कार्य कर सकें इसलिए NEGETIVE प्लेटो की संख्या 1 अधिक रखी जाती है दोनों प्रकार की प्लेट glass net की जाली से बनी होती है और उसमें RED LEAD paste जमा दी जाती है सेल में तनु गंधक का ACID इलेक्ट्रोलाइट के रूप में प्रयोग किया जाता है । प्लेटो को तली पर टिकाने के लिए पात्र में गुटके बने होते हैं और उसमें आपस में SHORT CIRCUIT होने से रोकने के लिए सेपरेटर प्रयोग किए जाते हैं प्रत्येक सेल में एक छेद युक्त ढक्कन अवश्य रखा जाता है जिसके द्वारा रासायनिक क्रियाओं में निकली गैस से बाहर निकल सके दोनों प्लेट समूह के connection सिरे बाहर निकालकर पात्र को ऊपर से सील कर दे जाता है
Cell के combination को बैटरी कहते हैं एक से अधिक से सेल को सीरीज , parellel या mix क्रम में संयोजित करना उसका ग्रुपिंग कहलाता है सेलों को निम्न प्रकार से जोड़ा जा सकता है
Series group
अधिक emf प्राप्त करने के लिए सेलों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है इस संयोजन में एक सेल का NEGETIVE शिरा दूसरे सेल के POSSITIVE सिरे से तथा दूसरे सेल का NEGETIVE सिरा तीसरे सेल के POSSITIVE सिरे से जोड़ा जाता है और इसी क्रम में सेलों को आवश्यक संख्या में जोड़ा जाता है ।
Parrellel group
अधिक मान की ELECTRIC CURRENT अथवा अधिक समय तक विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए सेलों को PARRELLEL में जोड़ा जाता है इस CONNECTION में सभी सेलो के धन सिरे एक बिंदु पर तथा ऋण शिरे दूसरे बिंदु पर संयोजित कीये जाते समांतर क्रम में कहलाते हैं।
मिक्स ग्रुप ( MIX GROUP)
अधिक EMF अधिक समय तक ELECTRIC CURRENT प्राप्त करने के लिए सभी सेलों को MIX GROUP में CONNECT किया जाता है इस CONNECTION में सेलों की SERIES GROUP को समांतर क्रम में संयोजित किया जाता है ।
बैटरी चार्जिंग
SECONDARY CELL अच्छा बैटरी को निर्माण के बाद ही आवेशित करने की आवश्यकता होती । है इसके अतिरिक्त BATTERY का CHARGE कम जाने अथवा समाप्त हो जाने पर उसे recharge करना पड़ता है इस कार्य के लिए DC CURRENT की आवश्यकता होती है। Dc current उपलब्ध ना हो तो एसी को डीसी में CHANGE करके भी बैटरी को charge किया जा सकता है ध्यान रखें कि बैटरी को charge करते समय उसका plus point स्रोत के plus point से स्थापित किया जाता है बैटरी चार्जिंग की प्रचलित विधियां निम्नलिखित हैं
कांस्टेंट करंट चार्जिंग ( Constant current। Charging)
इस विधि में CHARGING CURRENT का मान CONSTANT रहता है और इसलिए यह स्थिर करंट चार्जिंग विधि कहलाती है इसमें एक या अधिक बैटरी को सीरीज क्रम में जोड़कर एक लैंप बोर्ड के सीरीज क्रम में 110 / 220 वोल्ट डीसी से CONNECT किया जाता है इसमें प्रारंभिक CHARGING CURRENT को बैटरी की capacity के 10 से भाग के बराबर रखा जाता है जब बैटरी आधे से अधिक चार्ज हो जाती है तो लैंप बोर्ड के द्वारा चार्जिंग करंट का मान घटाया जाता है बैटरी का emf स्रोत के emf से काफी कम होने के कारण इस विधि में POWER का loss होता है। इस। Process me battery को एक साथ चार्ज किया जाता है
Constant voltage charging
इस विधि में चार्जिंग वोल्टेज का मान full charge time में constant रहता है इसलिए यह विधि स्थिर votlage चार्जिंग विधि कहलाती है । चार्जिंग वोल्टेज emf का मान बैटरी voltage से कुछ volt अधिक रखा जाता है उदाहरण के लिए 12 वोल्ट की बैटरी को charge करने के लिए विद्युत वाहक बल का मान 15 वोल्ट के लगभग रखा जाता है बैटरी चार्जिंग के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे की मोटर कार बस ट्रक आदि में इसमें प्रारंभिक चार्जिंग करंट का मान अधिक रहता है और जैसे जैसे बैटरी charge होती है चार्जिंग करंट का मान घटता जाता है। एक से अधिक बैटरी को एक साथ इस विधि द्वारा आवेशित करने के लिए उन्हें समांतर क्रम में जोड़ा जाता है
ट्रिकल चार्जिंग
Salfetion eroor लेड एसिड बैटरी को रिचार्ज करने के लिए उन्हें अति निम्न विद्युत धारा दर 2 से 3% तक पर आवेशित करना ट्रिकल चार्जिंग कहलाता है इस विधि द्वारा बैटरी को चार्ज करने में 1 सप्ताह अथवा उससे अधिक समय भी लग जाता है।
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